गुरुवार, 2 मई 2024

Work, power,Energy


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 *Science/विज्ञान* 

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 *कार्य, ऊर्जा एवं शक्ति* 

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1. *कार्य (Work):* 

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*कार्य की माप लगाये गये बल तथा बल की दिशा में वस्तु के विस्थापन के गुणनफल के बराबर होता है।* 


*कार्य एक अदिश राशि है।* 


*इसका S.I. मात्रक जूल है।*


*कार्य = बल × विस्थापन*



2. *ऊर्जा (Energy):*

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 *किसी वस्तु की कार्य करने की क्षमता को उस वस्तु की ऊर्जा कहते हैं।* 


*ऊर्जा एक अदिश राशि है।* 


*इसका S.I. मात्रक जूल है।*


3.*कार्य द्वारा प्राप्त ऊर्जा यांत्रिक ऊर्जा कहलाती है, जो दो प्रकार की होती है-* 

1. गतिज ऊर्जा

2.  स्थितिज ऊर्जा ।


*गतिज ऊर्जा (Kinetic Energy):*

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 *किसी वस्तु में उसकी गति के कारण कार्य करने की जो क्षमता आ जाती है, उसे उस वस्तु की गतिज ऊर्जा कहते हैं।*


 यदि m द्रव्यमान की वस्तु वेग से चल रही हो, तो गतिज ऊर्जा (KE) होगी-


KE =1/2mv2


*नोट: यदि दो पिण्डों की गतिज ऊर्जा एकसमान है, तो अधिक द्रव्यमान वाले एवं कम वेग वाले पिण्ड का संवेग अधिक होता है।*


*स्थितिज ऊर्जा (Potential energy):*

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 *जब किसी वस्तु में विशेष अवस्था (State) या स्थिति के कारण कार्य करने की क्षमता आ जाती है, तो उसे स्थितिज ऊर्जा कहते हैं।*

जैसे- *बाँध बनाकर इकट्ठा किये गये पानी की ऊर्जा*


*घड़ी की चाभी में संचित ऊर्जा,* 


*तनी हुई स्प्रिंग या कमानी की ऊर्जा।* 

*गुरुत्व बल के विरुद्ध संचित स्थितिज ऊर्जा का व्यंजक है-*

*PE=mgh* 

जहां m द्रव्यमान है g गुरुत्व जनित त्वरण h ऊंचाई


4. *ऊर्जा संरक्षण का नियम (Law of Conservation of Energy):*


1.*ऊर्जा न तो उत्पन्न की जा सकती है और न नष्ट की जा सकती है।*


2.*ऊर्जा केवल एक रूप से दूसरे रूप में परिवर्तित की जा सकती है।* 


3.*जब भी ऊर्जा किसी रूप में लुप्त होती है तब ठीक उतनी ही ऊर्जा अन्य रूपों में प्रकट होती है।* अतः *विश्व की सम्पूर्ण ऊर्जा का परिमाण स्थिर रहता है।* 


4.*यह ऊर्जा संरक्षण का नियम कहलाता है।*


5. *ऊर्जा रूपान्तरित करने वाले कुछ उपकरण* 


1. डायनेमो= *यांत्रिक ऊर्जा को विद्युत् ऊर्जा में*


2. मोमबत्ती= *रासायनिक ऊर्जा को प्रकाश एवं ऊष्मा ऊर्जा में*


3. माइक्रोफोन= *ध्वनि ऊर्जा को विद्युत् ऊर्जा में*


4. लाऊडस्पीकर= *विद्युत् ऊर्जा को ध्वनि ऊर्जा में*


5. सोलर सेल= *सौर ऊर्जा को विद्युत् ऊर्जा में*


6. ट्यूब लाइट= *विद्युत् ऊर्जा को प्रकाश ऊर्जा में*


7. विद्युत् मोटर= *विद्युत् ऊर्जा को यांत्रिक ऊर्जा में*


8. विद्युत् बल्ब= *विद्युत् ऊर्जा को प्रकाश एवं ऊष्मा ऊर्जा में*


9. विद्युत् सेल= *रासायनिक ऊर्जा को विद्युत् ऊर्जा में*


10. सितार यांत्रिक= *ऊर्जा को ध्वनि ऊर्जा में*


6.*शक्ति (Power) :*

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 *कार्य करने की दर को शक्ति कहते हैं।* 


*यदि किसी कर्ता द्वारा W कार्य t समय में किया जाता है, तो कर्ता की शक्ति W/t होगी।* 


*शक्ति का S.I. मात्रक वाट (W) है*, जिसे t वैज्ञानिक जेम्स वाट के सम्मान में रखा गया है।



7.*शक्ति की एक और मात्रक अश्व शक्ति है। अश्व शक्ति इकाई जेम्स वाट के द्वारा दिया गया।*


*1 अश्व शक्ति (H.P.) = 746 W = 550 ft - lbs = 746 × 107 अर्ग/सेकेण्ड 1 kW = 1000 746 = 1.34 Н.Р.*


8.*वाट-सेकेण्ड (Ws) :*


*1 वाट-सेकेण्ड = 1 वाट x 1 सेकेण्ड = 1 जूल*


*1 वाट घंटा (Wh) = 3600 जूल*


*1 किलोवाट घंटा = 1000 वाट घंटा = 3.6 × 10° जूल*


9.*W, kW, MW तथा H.P. शक्ति के मात्रक हैं।* 


10.*Ws, Wh, kWh कार्य अथवा ऊर्जा के मात्रक हैं।*

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Surface Tension


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 *Science/विज्ञान* 

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 *पृष्ठ तनाव* 

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*संसंजक बल (Cohesive Force):* 

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*एक ही पदार्थ के अणुओं के मध्य लगने वाले आकर्षण बल को संसंजक बल कहते हैं।* 


*ठोसों में संसंजक बल का मान अधिक होता है*, फलस्वरूप *उनके आकार निश्चित होते हैं।* 


*गैसों में संसंजक बल का मान नगण्य* होता है।



2.*आसंजक बल (Adhesive Force):* 

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*दो भिन्न पदार्थों के अणुओं के बीच लगने वाले आकर्षण बल को आसंजक बल कहते हैं।* 


*आसंजक बल के कारण ही एक वस्तु दूसरे से चिपकती* है।


3.*पृष्ठ तनाव (Surface tension):* 

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*द्रव के स्वतंत्र पृष्ठ में कम-से- कम क्षेत्रफल प्राप्त करने की प्रवृत्ति होती है, जिसके कारण उसका पृष्ठ सदैव तनाव की स्थिति में रहती है। इसे ही पृष्ठ तनाव कहते हैं। किसी द्रव का पृष्ठ तनाव वह बल है, जो द्रव के पृष्ठ पर खींची गयी काल्पनिक रेखा की इकाई लम्बाई पर रेखा के लम्बवत् कार्य करता है। यदि रेखा की लम्बाई (l) पर F बल कार्य करता है, तो-*


*पृष्ठ तनाव, T=F  T =*


4.*पृष्ठ तनाव का SI मात्रक न्यूटन मीटर होता है।*


5.*द्रव के पृष्ठ के क्षेत्रफल में एकांक वृद्धि करने के लिए किया गया कार्य द्रव के पृष्ठ तनाव के बराबर होता है। इसके अनुसार पृष्ठ तनाव का मात्रक जूल/मीटर2 होगा।*


6.*द्रव का ताप बढ़ाने पर पृष्ठ तनाव कम हो जाता है और क्रांतिक ताप (critical temp) पर यह शून्य हो जाता है।*


*नोटः घुलनशील नमक मिलाने पर जल का पृष्ठ तनाव बढ़ जाता है।*

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Wave


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 *Science/विज्ञान* 

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 *तरंग* 

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1. *तरंगों को मुख्यतः दो भागों में बाँटा जा सकता है-*


1. *यांत्रिक तरंग (Mechanical Wave)*


2. *अयांत्रिक तरंग (Non-mechanical Wave)*




2. *यांत्रिक तरंग (Mechanical Wave):* 

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*वे तरंगें जो किसी पदार्थिक माध्यम (ठोस, द्रव अथवा गैस) में संचरित होती हैं- "यांत्रिक तरंगें कहलाती हैं।"*


3.*यांत्रिक तरंगों को मुख्यतः दो भागों में बाँटा गया है-*


1. *अनुदैर्ध्य तरंग (Longitudinal Waves)* 


2. *अनुप्रस्थ तरंग (Transverse Waves)* 


4. *अनुदैर्ध्य तरंग :*

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 *जब तरंग गति की दिशा माध्यम के कणों के कम्पन करने की दिशा के अनुदिश (या समांतर) होती है, तो ऐसी तरंग को अनुदैर्ध्य तरंग कहते हैं। ध्वनि अनुदैर्ध्य तरंग का उदाहरण है।*


*नोट : अनुदैर्ध्य तरंगों का ध्रुवण नहीं होता है।*


5.*निम्न तरंगे विद्युत् चुम्बकीय नहीं हैं :*

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 *1. कैथोड किरणें* 


 *2. कैनाल किरणें* 


 *3. a-किरणें* 


 *4. β-किरणें* 


 *5. ध्वनि तरंगें* 


 *6. पराश्रव्य तरंगें* 


6. *आयाम (Amplitude):*

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 *दोलन करने वाली वस्तु अपनी साम्य स्थिति की किसी भी ओर जितनी अधिक-से-अधिक दूरी तक जाती है, उस दूरी को दोलन का आयाम कहते हैं।*


7. *तरंगदैर्ध्य (Wave-Length):*

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*तरंग गति में समान कला में कम्पन करने वाले दो क्रमागत कणों के बीच की दूरी को तरंगदैर्ध्य कहते हैं। इसे ग्रीक अक्षर । (लैम्डा) से व्यक्त किया जाता है। अनुप्रस्थ तरंगों में दो पास-पास के श्रृंगों अथवा गर्तों के बीच की दूरी तथा अनुदैर्ध्य तरंगों में क्रमागत दो संपीडनों या विरलनों के बीच की दूरी तरंगदैर्ध्य कहलाती है।*


*सभी प्रकार की तरंगों में तरंग की चाल, तरंगदैर्ध्य एवं आवृत्ति के बीच निम्न संबंध होता है-*


*तरंग-चाल = आवृत्ति तरंगदैर्ध्य या, υ = πλ*


8. *अनुप्रस्थ तरंग :* 

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*जब तरंग गति की दिशा माध्यम के कणों के कम्पन करने की दिशा के लम्बवत् होती है, तो इस प्रकार की तरंगों को 'अनुप्रस्थ तरंग' कहते हैं।*


9.*अयांत्रिक तरंग या विद्युत् चुम्बकीय तरंग (Electromagnetic Waves):* 

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*वैसी तरंगें जिसके संचरण के लिए किसी माध्यम की आवश्यकता नहीं होती है, अर्थात् तरंगें निर्वात में भी संचरित हो सकती हैं, उन्हें विद्युत् चुम्बकीय या अयांत्रिक तरंग कहते हैं-सभी विद्युत् चुम्बकीय तरंगें एक ही चाल से चलती हैं, जो प्रकाश की चाल के बराबर होती है।*


10.*सभी विद्युत् चुम्बकीय तरंगें फोटॉन की बनी होती हैं।*


11.*विद्युत् चुम्बकीय तरंगों का तरंगदैर्ध्य परिसर 10square 14 मीटर से लेकर 10square4 मीटर तक होता है।*


12. *विद्युत् चुम्बकीय तरंगों के गुण*


1. यह उदासीन होती है। 


2. यह अनुप्रस्थ होती है। 


3. यह प्रकाश के वेग से गमन करती है। 


4. इसके पास ऊर्जा एवं संवेग होती है। 


5. इसकी अवधारणा मैक्सवेल (Maxwell) के द्वारा प्रतिपादित किया गया।*


13. *तरंग-गति (Wave-Motion):* 


*किसी कारक द्वारा उत्पन्न विक्षोभ के आगे बढ़ने की प्रक्रिया को तरंग-गति कहते हैं।*


14.*कम्पन की कला (Phase of Vibration):*

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 *आवर्त गति में कम्पन करते हुए किसी कण की किसी क्षण पर स्थिति तथा गति की दिशा को जिस राशि द्वारा निरूपित किया जाता है उसे उस क्षण पर के कम्पन की कला कहते हैं।*

1. गामा-किरणें= *पॉल विलार्ड(जबकि नामकरण रदरफोर्ड ने किया)*= *इसकी विधान क्षमता अत्यधिक होती है इसका उपयोग नाभिकीय अभिक्रिया तथा कृत्रिम रेडियोधर्मिकता में की जाती है।*


2. एक्स किरणें = *रॉन्जन=चिकित्सा एवं औद्योगिक क्षेत्र में इसका उपयोग किया जाता है।*


3.पराबैंगनी किरणें *=रिटर=सिकाई करने प्रकाश विद्युत प्रभाव को उत्पन्न करने बैक्टीरिया को नष्ट करने एवं रुपए जांचने में किया जाता है।*


4.दृश्य-विकिरण= *न्यूटन=इसमें हमें वस्तुएं दिखलाई पड़ती है।*



5. अवरक्त विकिरण= *हर्शेल=यह किरणें उसमें विकिरण है यह जिस वस्तु पर पड़ती है उसका तप बढ़ जाता है इसका उपयोग कोहरे में फोटोग्राफी करने एवं रोगियों की सेकाई करने में किया जाता है।*


6.लघु रेडियो तरंगें = *हेनरिक हर्ट्ज=इसका उपयोग रेडियो टेलीविजन एवं टेलीफोन में किया जाता है।*

 


7.दीर्घ रेडियो तरंगें= *मार्कोनी=इसका उपयोग रेडियो एवं टेलीविजन में किया जाता है।*


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Sound


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 *Science/विज्ञान* 

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 *ध्वनि तरंग* 

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1.*ध्वनि तरंग अनुदैर्ध्य यांत्रिक तरंगें होती हैं।*


2. *ध्वनि तरंगों का आवृत्ति परिसर :* 

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1. *अवश्रव्य तरंगें (Infrasonic Waves): (20 Hz से नीचे की आवृत्ति वाली ध्वनि तरंगों) को 'अवश्रव्य तरंगें' कहते हैं। इसे हमारा कान सुन नहीं सकता है। इस प्रकार की तरंगों को बहुत बड़े आकार के स्रोतों से उत्पन्न किया जा सकता है।*


2. *श्रव्य तरंगें (Audible Waves): (20Hz से 20,000 Hz) के बीच की आवृत्ति वाली तरंगों को 'श्रव्य तरंग' कहते हैं। इन तरंगों को हमारा कान सुन सकता है।*


3. *पराश्रव्य तरंगें (Ultrasonic Wave): (20,000 Hz से ऊपर की आवृत्ति वाली तरंगों) को पराश्रव्य तरंगें कहा जाता है। मनुष्य के कान इसे नहीं सुन सकता है। परन्तु कुछ जानवर जैसे- कुत्ता, बिल्ली, चमगादड़ आदि, इसे सुन सकते हैं। इन तरंगों को (गाल्टन की सीटी के द्वारा तथा दाब विद्युत् प्रभाव की विधि द्वारा क्वार्ट्ज के क्रिस्टल के कम्पनों से उत्पन्न करते) हैं। इन तरंगों की आवृत्ति बहुत ऊँची होने के कारण इसमें बहुत अधिक ऊर्जा होती है। साथ ही इनका तरंगदैर्ध्य छोटी होने के कारण इन्हें एक पतले किरण-पुंज के रूप में बहुत दूर तक भेजा जा सकता है।*



 *पराश्रव्य तरंगों के उपयोग:* 

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 *1. संकेत भेजने में* 


 *2. समुद्र की गहराई का पता लगाने में* 


 *3. कीमती कपड़ों, वायुयान तथा घड़ियों के पुर्जों को साफ करने में* 


 *4. कल-कारखानों की चिमनियों से कालिख हटाने में* 


 *5. दूध के अन्दर के हानिकारक जीवाणुओं को नष्ट करने में* 


 *6. गठिया रोग के उपचार एवं मस्तिष्क के ट्यूमर का पता लगाने में* 


 *7. भ्रूण की जाँच करने में* 


 *8. गुर्दा में बनने वाली पथरी की जाँच करने में तथा उसे तोड़ने में।* 

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Sound

Sound 

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*ध्वनि की चाल (Speed of Sound)*

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1.*विभिन्न माध्यमों में ध्वनि की चाल भिन्न-भिन्न होती है। किसी माध्यम में ध्वनि की चाल (मुख्यतः माध्यम की प्रत्यास्थता तथा घनत्व) पर निर्भर करती है।*


2.*ध्वनि की चाल सबसे अधिक ठोस में, उसके बाद द्रव में और उसके बाद गैस में होती है।*


3.*वायु में ध्वनि की चाल 332 m/s, जल में ध्वनि की चाल 1,483 m/s और लोहे में ध्वनि की चाल 5,130 m/s होती है।*


4.*जब ध्वनि एक माध्यम से दूसरे माध्यम में जाती है, तो ध्वनि की चाल एवं तरंगदैर्ध्य बदल जाती है, जबकि आवृत्ति नहीं बदलती है।*


5. *किसी माध्यम में ध्वनि की चाल आवृत्ति पर निर्भर नहीं करती है।*


6.*ध्वनि की चाल पर दाब का प्रभाव ध्वनि की चाल पर दाब का कोई प्रभाव नहीं पड़ता है। अर्थात् दाब घटाने या बढ़ाने पर ध्वनि की चाल अपरिवर्तित रहती है।*


7.*ध्वनि की चाल पर ताप का प्रभाव माध्यम का ताप बढ़ाने पर उसमें ध्वनि की चाल बढ़ जाती है। वायु में प्रति 1°C ताप बढ़ाने पर ध्वनि की चाल 0.61m/s बढ़ जाती है।*


8.*ध्वनि की चाल पर आर्द्रता का प्रभाव नमीयुक्त वायु का घनत्व, शुष्क वायु के घनत्व से कम होता है; अतः शुष्क वायु की अपेक्षा नमी युक्त वायु में ध्वनि की चाल अधिक होती है।*


9. *ध्वनि के लक्षण (Characteristics of Sound): ध्वनि के मुख्यतः तीन लक्षण होते हैं*- 

 *1. प्रबलता* 

 *2. तारत्व* और 

   *3. गुणता ।* 


1. *प्रबलता (Loudness): प्रबलता ध्वनि का अभिलक्षण है जिसके कारण कोई ध्वनि तेज या मंद सुनाई देती है। ध्वनि की प्रबलता स्तर व्यक्त करने का मात्रक फोन है।*


2.*तारत्व (Pitch): तारत्व ध्वनि का वह लक्षण है, जिससे ध्वनि को मोटी (grave) या पतली (shrill) कहा जाता है ! तारत्व आवृत्ति पर निर्भर करता है। ध्वनि की आवृत्ति अधिक होने पर तारत्त्व अधिक होता है, एवं ध्वनि पतली (shrill) होती है। वहीं आवृत्ति कम होने पर तारत्व कम होता है एवं ध्वनि मोटी (grave) होती है।*


3. *गुणता (Quality): ध्वनि का वह लक्षण जिसके कारण हमें समान प्रबलता तथा समान तारत्व की ध्वनियों में अन्तर प्रतीत होता है, गुणता कहलाता है। ध्वनि की गुणता संनादी स्वरों की संख्या, क्रम तथा आपेक्षिक तीव्रता पर निर्भर करती है।*


10.*प्रतिध्वनि सुनने के लिए श्रोता एवं परावर्तक सतह के बीच न्यूनतम दूरी 17 मी (16.6 मीटर) होनी चाहिए।*


11.*ध्वनि की तीव्रता व्यक्त करने वाला मात्रक को बेल (Bel) कहते हैं। बेल एक बड़ा मात्रक है ।अतः व्यवहार में इसे छोटा मात्रक dB (डेसिबल) प्रयुक्त होता है जो बेल का दसवां भाग है।*


12.*मनुष्य की अधिकतम श्रव्यता सीमा 95dB(डेसीबल) है। इससे अधिक तीव्रता की ध्वनि को मनुष्य सुन नहीं सकता है।*


13.*सबसे अधिक ध्वनि की चाल ठोस में (एल्मुनियम 6420 मीटर प्रति सेकंड)*


14.*गैस में, ध्वनि की चाल सबसे कम होती है (कार्बन डाइऑक्साइड 260 मीटर प्रति सेकंड)*

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ऊष्मा


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 *ऊष्मा (HEAT)* 

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1.*ऊष्मा (Heat): यह वह ऊर्जा है जो एक वस्तु से दूसरी वस्तु में केवल तापान्तर (Temperature Difference) के कारण स्थानान्तरित होती है। किसी वस्तु में निहित ऊष्मा उस वस्तु के द्रव्यमान पर निर्भर करती है।*


2. *यदि कार्य W ऊष्मा Q में बदलता है तो = W/Q = J या W = JQ जहाँ, J एक नियतांक है, जिसे ऊष्मा का यांत्रिक तुल्यांक (Mechanical Equivalent of Heat) कहते हैं।* 

3. *J का मान 4.186 जूल/कैलोरी होता है। इसका तात्पर्य यह हुआ कि यदि 4.186 जूल का यांत्रिक कार्य किया जाए तो उत्पन्न ऊष्मा की मात्रा 1 कैलोरी होगी।*


 *ऊष्मा के मात्रक (Units of Heat):* 

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1. *ऊष्मा का S.I. मात्रक जूल है।* *इसके लिए निम्न मात्रक का प्रयोग भी किया जाता है-* 

1. *कैलोरी (Calorie) एक ग्राम जल का ताप 1°C बढ़ाने के लिए  आवश्यक ऊष्मा की मात्रा को कैलोरी कहते हैं।*


2. *अन्तर्राष्ट्रीय कैलोरी (International Calorie) 1 ग्राम शुद्ध जल का ताप 14.5°C से 15.5°C तक बढ़ाने के लिए आवश्यक ऊष्मा की मात्रा को 1 कैलोरी कहा जाता है।*


3. *ब्रिटिश थर्मल यूनिट (B. Th. U.): एक पौंड जल का ताप 1°F बढ़ाने के लिए आवश्यक ऊष्मा की मात्रा को 1 B. Th. U. कहते हैं।*


 *विभिन्न मात्रकों में संबंध*

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*1B.Th.U=252 कैलोरी*


*1कैलोरी=4.186 जूल*


*1 किलो कैलोरी= 4186 जूल= 1000 कैलोरी।* 

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चुम्बक


 *Science/विज्ञान* 

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 *चुम्बकत्व* 

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1. *प्राकृतिक चुम्बक लोहे का ऑक्साइड (Fe3O4) है।* 

2. *इसका कोई निश्चित आकार नहीं होता है।*


3. *कृत्रिम विधियों द्वारा बनाए गये चुम्बक को कृत्रिम चुम्बक कहते हैं; यह लोहा, इस्पात कोबाल्ट आदि से बनाया जा सकता है।* 

4. *यह विभिन्न आकृति की होती है, जैसे-छड़ चुम्बक, घोड़ानाल चुम्बक, चुम्बकीय सूई आदि ।*


5. *चुम्बक लोहे को अपनी ओर आकर्षित करता है, इस गुण को चुम्बकत्व कहते हैं।* 

6. *चुम्बक के सिरों के समीप चुम्बकत्व सबसे अधिक होता है।* 

7. *वे क्षेत्र चुम्बक के ध्रुव (pole) कहलाते हैं।* 

8. *चुम्बक के ठीक मध्य में चुम्बकत्व नहीं होता।*


9. चुम्बक को क्षैतिज तल में स्वतंत्रतापूर्वक लटकाने पर *उसका एक ध्रुव सदैव उत्तर की ओर* तथा *दूसरा ध्रुव सदैव दक्षिण की ओर ठहरता* है। उत्तर की ओर ठहरने वाले ध्रुव को उत्तरी ध्रुव तया दक्षिण की ओर ठहरने वाले ध्रुव को दक्षिणी ध्रुव कहते हैं।


10. *चुम्बक के दो ध्रुवों को मिलाने वाली रेखा को चुम्बकीय अक्ष कहते* है।


11. *समान ध्रुव में प्रतिकर्षण* एवं *असमान ध्रुव में आकर्षण होता है।*


*नोट: यदि किसी चुम्बक का तीसरा ध्रुव हो, तो तीसरा ध्रुव परिणामी ध्रुव कहलाता है।*


12. *चुम्बक चुम्बकीय पदार्थों में प्रेरण (Induction) द्वारा चुम्बकत्व उत्पन्न कर देता है।*


13. .*चुम्बकीय क्षेत्र (मैग्नेटिक Field) :* 

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चुम्बक के चारों ओर *वह क्षेत्र, जिसमें चुम्बक के प्रभाव का अनुभव किया जा सकता है, 'चुम्बकीय क्षेत्र' कहलाता है।*


14.*चुम्बकीय  क्षेत्र की तीव्रता:*

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 चुम्बकीय क्षेत्र में क्षेत्र के लम्बवत् एकांक लम्बाई का ऐसा चालक तार रखा जाए जिसमें एकांक प्रबलता की धारा प्रवाहित हो रही हो तो चालक पर लगने वाला बल ही चुम्बकीय क्षेत्र की तीव्रता की माप होगी। *चुम्बकीय क्षेत्र की तीव्रता एक सदिश राशि है।* इसका *मात्रक न्यूटन ऐम्पियर-मी. अथवा वेबर/मी2 या टेसला (T) होता है।*


15.*चुम्बकीय बल रेखाएँ (Magnetic Lines of Force):*

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चुम्बकीय क्षेत्र में बल-रेखाएँ वे काल्पनिक रेखाएँ हैं, जो उस स्थान में चुम्बकीय क्षेत्र की दिशा को अविरत प्रदर्शन करती हैं। *चुम्बकीय बल-रेखा के किसी भी बिन्दु पर खींची गई स्पर्श-रेखा उस बिदु पर चुम्बकीय क्षेत्र की दिशा को प्रदर्शित करती है।*


*नोट : चुम्बकीय सुई उत्तर की तरफ संकेत करती है। मुक्त रूप से लटकी हुई चुम्बकीय सुई का अक्ष भौगोलिक अक्ष के साथ 18° का कोण बनाती है।* 


16.*चुम्बकीय बल-रेखाओं के गुण :*

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1.*चुम्बकीय बल-रेखाएँ सदैव चुम्बक के उत्तरी ध्रुव से निकलती हैं, तथा वक्र बनाती हुई दक्षिणी ध्रुव में प्रवेश कर जाती हैं और चुम्बक के अन्दर से होती हुई पुनः उत्तरी ध्रुव पर वापस आती हैं।*


2. *दो बल-रेखाएँ एक-दूसरे को कभी नहीं काटतीं।*


3. *चुम्बकीय क्षेत्र जहाँ प्रबल होता है वहाँ बल-रेखाएँ पास-पास होती हैं।*


4. *एक समान चुम्बकीय क्षेत्र की बल-रेखाएँ परस्पर समान्तर एवं बराबर-बराबर दूरियों पर होती हैं।*


17.*चुम्बकीय पदार्थ (Magnetic Substances):*

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1. *प्रति चुम्बकीय पदार्थ (Dia-Magnetic Substances):*

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 *प्रति चुम्बकीय पदार्थ वे पदार्थ हैं, जो चुम्बकीय क्षेत्र में रखे जाने पर क्षेत्र की विपरीत दिशा में चुम्बकित हो जाते हैं।* 


*जस्ता, बिस्मथ, ताँबा, चाँदी, सोना, हीरा, नमक, जल आदि प्रति चुम्बकीय पदार्थों के उदाहरण हैं।*


2. *अनुचुम्बकीय पदार्थ (Paramagnetic Substances):*

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*अनुचुम्बकीय पदार्थ वे पदार्थ हैं, जो चुम्बकीय क्षेत्र में रखने पर क्षेत्र की दिशा में थोड़ी सी (एक से कम) चुम्बकीय हो जाते हैं। प्लैटिनम, क्रोमियम, सोडियम, एल्युमिनियम, ऑक्सीजन आदि इसके उदाहरण हैं।*


3. *लौह चुम्बकीय (Ferromagnetic Substances) :*

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*लौह चुम्बकीय पदार्थ वे पदार्थ हैं, जो चुम्बकीय क्षेत्र में रखने पर क्षेत्र की दिशा में प्रबल रूप से चुम्बकित हो जाते हैं।*


 *लोहा, निकेल, कोबाल्ट, इस्पात इसके उदाहरण हैं।*


18.*डोमेन (Domains) :* 

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*लौह चुम्बकीय पदार्थ में प्रत्येक परमाणु ही एक चुम्बक होता है और उनमें असंख्य परमाणुओं के समूह होते  हैं जिन्हें डोमेन कहते हैं।* 


*एक डोमेन में 1018 से 1021 तक परमाणु होते हैं, लौह चुम्बकीय पदार्थों का तीव्र चुम्बकत्व इन डोमेनों के कारण ही होता है।*


19. *क्यूरी ताप (Curie Temperature):* 

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*क्यूरी ताप वह ताप है, जिसके ऊपर पदार्थ अनु चुम्बकीय व जिसके नीचे पदार्थ लौह चुम्बकीय होता है।* 


*लोहा एवं निकेल के लिए क्यूरी ताप के मान क्रमशः 770°C तथा 358°C होता है।*


20.*अस्थायी चुम्बक बनाने के लिए नर्म लोहे का प्रयोग किया जाता है।*


21. *स्थायी चुम्बक बनाने के लिए इस्पात का प्रयोग किया जाता है।*


*> भू-चुम्बकत्व (Terrestrial Magnetism):* 

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*किसी स्थान पर पृथ्वी के चुम्बकीय क्षेत्र को तीन तत्त्वों द्वारा व्यक्त किया जाता है दिकपात् कोण (angle of declination), नमन कोण (angle of dip) तथा चुम्बकीय क्षेत्र की क्षैतिज घटक (horizontal component of earth's magentic field)*


1. *दिक्पाल कोणः*

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 *किसी स्थान पर भौगोलिक याम्योत्तर तथा चुम्बकीय याम्योत्तर के बीच के कोण को दिक्पाल कोण कहते हैं।*


2. *नमन कोण :*

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 *किसी स्थान पर पृथ्वी का सम्पूर्ण चुम्बकीय क्षेत्र क्षैतिज तल के साथ जितना कोण बनता है, उसे उस स्थान का नमन कोण कहते हैं। पृथ्वी के *ध्रुव पर नमन कोण का मान 90° तथा विषुवत् रेखा पर 0° होता है।*


3. *चुम्बकीय क्षेत्र के क्षैतिज घटक पृथ्वी के सम्पूर्ण चुम्बकीय क्षेत्र के क्षैतिज घटक (H) अलग-अलग स्थानों पर अलग-अलग होता है। परन्तु इसका मान लगभग 0.4 गाँस या 0.4 × 104 टेसला होता है।*


नोट : पृथ्वी एक बहुत बड़ा चुम्बक है, *इसका चुम्बकीय क्षेत्र दक्षिण से उत्तर दिशा में विस्तृत होता है।*

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