शनिवार, 18 मई 2024

Revision 2


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*इतिहास अतीत से वर्तमान कहां कब और कैसे पाठ की महत्वपूर्ण बिंदु :*


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1.भारतीय इतिहास में *8वी सदी को मध्य काल का प्रारंभ* तथा *18 वीं शताब्दी को उसका अंत* माना जाता है।


2. मध्यकालीन भारतीय इतिहास के काल में मोटे तौर पर *750 ईसवी से 1750 ईस्वी तक* निर्धारित किया गया है।


3. हम अपने देश के लिए *हिंदुस्तान नाम का प्रयोग भारत और इंडिया* के पर्यायवाची के रूप में करते हैं। 


4.हमारे देश के लिए *"हिंदुस्तान"* नाम 13वी शताब्दी में *तुर्क सत्ता की स्थापना के बाद प्रचलित* हुई।


5. *मुगल वंश के संस्थापक बाबर ने हिंदुस्तान शब्द का प्रयोग संपूर्ण उपमहाद्वीप के लिए किया था।*


6. भारतीय उपमहाद्वीप में मुगल सत्ता का सर्वाधिक विस्तार *"औरंगजेब"* के शासनकाल में हुआ


7. बिहार राज्य के लिए बिहार नाम का प्रयोग सर्वप्रथम 13वी शताब्दी के इतिहासकार  *"मिनहाज -ए- सिराज"* ने किया।


8. इतिहासकार मिनहाज उस सिराज ने हमारे राज्य को *"अर्ज -ए -बिहार"*  कह कर संबोधित किया था।


9. हमारे राज्य को *प्रांत* के रूप में गठित करने वाला प्रथम शासक *"अकबर"* था ।


10.*मध्ययुगीन भारत का आर्थिक जीवन मुख्य रूप से कृषि पर आधारित था*।


11. *हमारे देश में कागज का प्रयोग 13वी शताब्दी के आसपास तुर्कों की आगमन* के साथ हुआ ।


12.*कागज का निर्माण 100ई.के आसपास सर्वप्रथम चीन* में हुआ था। 


13. 13वी शताब्दी के आसपास ही *दिशा सूचक यंत्र, समय सूचक उपकरणों का प्रयोग, लोहे की रकाब एवं घोड़े के खुर की लोहे की नाल का आविष्कार* हुआ। 


14.अरब लोगों ने *सिंध पर अपना शासन आठवीं शताब्दी* में स्थापित किया।


15. भारत में *इस्लाम धर्म का आगमन अरब लोगों* के माध्यम से हुआ ।


16.*गुप्त काल में वैष्णव संप्रदाय* लगभग पूरे भारत में फैल चुका था।


17. सिक्कों के अध्ययन को *"न्यूमेसमैटीक्स"* कहते हैं।


18. *सिक्कों के माध्यम से शासकों के तिथि क्रम* को समझने में सहायता मिलती है ।


19.शेरशाह का मकबरा *हिंदू -मुस्लिम* स्थापन का एक सुंदर नमूना है।


20. *ग्रैंड ट्रंक रोड का निर्माण/मरम्मती शेरशाह* ने करवाया था।

 

21.शेरशाह का *मकबरा सासाराम* में है।

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*जीवाश्म इंधन*

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 *परिभाषा*

 सजीव प्राणियों के अवशेषों  से प्राप्त होने वाले ईंधन जीवाश्म ईंधन करते है

जैसे : कोयला ,पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस प्रमुख है।


*कोयला*

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1.संरचना: *कार्बन* 


2.*कार्बनिकरण* :मृदा वनस्पति का धीमी प्रक्रम द्वारा कायले में परिवर्तन।


3.अन्य नाम : *काला सोना* 


4.उप उत्पाद:*कोक एवं कोलतार*।


*कोक*

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1.कार्बन का लगभग शुद्ध रूप 


2.गुण : कठोर सरंध्र एवं काला पदार्थ 

3.उपयोग: 

# इस्पात के औद्योगिक निर्माण में 

# धातुओं के निष्कर्षण में 


*कोलतार*

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1.लगभग 200 पदार्थों का मिश्रण


2.गुण : *अप्रिय गंध वाला गाढा द्रव* 


3.उपयोग: *संश्लेषित रंग, औषधि ,विस्फोटक, सुगंध, प्लास्टिक ,पेंट ,फोटो फ्रेमिंग सामग्री ,एवं छत निर्माण सामग्री आदि के निर्माण में।*


*कोयला गैस*

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1.संश्लेषण प्रक्रिया 

2.कोयले के प्रक्रमण द्वारा कोक बनाते समय निर्मित होता है ।

उपयोग :उद्योगों में ईंधन के रूप में ।


*कोयले के प्रकार*

1. *पीट* कोयला : *निम्न श्रेणी का कोयला* जल की मात्रा अधिक हैं।पीट कोयले में लगभग *60-70% जल* होता है और इसमें कार्बन की मात्रा *40-60% तक* होती है।


 *लिंगनाइट* कोयला :भूरा कोयला (सबसे कम ऊष्मा) 

 *लिग्नाइट एक निम्न श्रेणी* का कोयला है और इसमें लगभग *35-50 प्रतिशत कार्बन* होता है। 



*बिटुमिनस*: सॉफ्ट कोयला 

इसमें *50 से 85 प्रतिशत कार्बन* मौजूद होता है। यह *ठोस, सघन और भंगुर* होता है और आमतौर पर *काले रंग* का होता है।



*एंथ्रासाइट* :कठोर कोयला (सर्वाधिक ऊष्मा) यह कोयले का *सबसे शुद्ध* रूप है जिसमें लगभग *90% कार्बन* है।



*पेट्रोलियम* 

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अन्य नाम:  *पारंपरिक तेल या हल्का तेल* 


स्रोत : *समुद्र की तली या भूमि पर भूपर्टी की गहराई में* 


पेट्रोलियम के घटक :*गैस, गैसोलीन ,केरोशनी ,डीजल तेल नेप्था, ग्रीस, मोम एवं एस्फाल्ट।*


उपयोग

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 *ईंधन के रूप में, पीड़कनाशको, प्लास्टिक, कृत्रिम रेशे ,पेंट एवं औषधि के निर्माण हेतु कच्चे माल के रूप में।*


*प्राकृतिक गैस* 

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1.गैसीय हाइड्रोकार्बनो एवं अन्य गैसों का मिश्रण। 

*स्रोत*

पेट्रोलियम के तेल कूप व प्राकृतिक दरारें  से प्राप्त होती है।

*प्रमुख घटक*

 मेथेन ,एथेन ,प्रोपेन एवं ब्यूटेन 


*उपयोग*

 ईंधन के रूप में हाइड्रोजन, गैसोलीन एवं कार्बनिक यौगिकों के निर्माण में। 

*L.P.G*

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प्राकृतिक गैस से प्रोपेन और ब्यूटेन को पृथक कर उच्च दाब पर द्रवित मिश्रण है।


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*राज्यसभा से संबंधित*

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 *राज्यसभा*

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1.भारतीय संविधान का *अनुच्छेद 80 संसद के उच्च सदन* के रूप में राज्यसभा का उल्लेख करता है।


2.राज्यसभा के *सदस्यों की अधिकतम संख्या 250 हो* सकती है, इसके सदस्यों की *वर्तमान संख्या 245* है।


3..*233 सदस्यों का चुनाव, 28 राज्यों तथा दिल्ली और पांडिचेरी दो केंद्र शासित प्रदेशों के विधानमंडलों द्वारा* किया जाता है। शेष *12 सदस्यों को राष्ट्रपति द्वारा मनोनीत* किया जाता है।


मनोनीत किए जाने वाले सदस्यों के लिए यह

आवश्यक है कि वह *कला, साहित्य, विज्ञान, समाज सेवा तथा खेल के क्षेत्र में विशिष्ट स्थान* रखता हो।


4.राज्यसभा *सदस्यों का चुनाव 6 वर्ष* के लिए होता है।


5.*यह एक स्थायी सदन है* जो कभी भंग नहीं किया जा सकता । *प्रत्येक दो वर्ष बाद इसके एक तिहाई सदस्य अवकाश ग्रहण करते* है और उनके स्थान पर नये सदस्य चुने जाते हैं।


6.राज्यसभा में भी *विपक्ष के नेता को केबिनेट मंत्री का दर्ज़ा* प्राप्त होता है।

*राष्ट्रपति वर्ष में कम से कम दो बार राज्यसभा का अधिवेशन बुलाता* है।


राज्यसभा की अंतिम बैठक तथा नये सत्र की प्रथम *बैठक के बीच में छह महीने से अधिक का अंतर* नहीं होना चाहिए।


*राज्यसभा सदस्य की अनिवार्य योग्यताएं*:-


1.वह *भारत का नागरिक हो*।


2.उसकी *आयु 30 वर्ष से कम नहीं हो*।


3.वह भारत सरकार या राज्य सरकार के अधीन किसी *लाभ के पद पर नहीं हो*।


4.*वह पागल या दिवालिया न हो*।


5.जिस राज्य का प्रतिनिधित्व पाना चाहता है *उस राज्य के किसी संसदीय क्षेत्र का मतमतदाता हो*।


*सभापति*

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1.*उपराष्ट्रपति राज्यसभा का पदेन सभापति होता है।*


2.*राज्यसभा के सदस्यों में से एक उपसभापति का चुनाव किया जाता है।*


3.*सभापति (उपराष्ट्रपति) की अनुपस्थिति में उपसभापति सभापति के कर्तव्यों का पालन करता है*।


*राज्यसभा की शक्तियां और कार्य*

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1.*राज्यसभा लोकसभा के साथ मिलकर कानून बनाती है, संविधान में संशोधन करती है।*


 2.*संसद का अभिन्न अंग होने के कारण इसकी सहमति के बिना कोई विधेयक कानून नहीं बन सकता* केवल *राज्यसभा को यह अधिकार प्राप्त है कि वह संविधान के अनुच्छेद 312 के तहत अखिल भारतीय सेवाओं का सृजन कर सके।*


3.केवल राज्यसभा को यह अधिकार प्राप्त है कि वह *अनुच्छेद 249 के तहत राज्य सूची के किसी विषय को राष्ट्रीय महत्व का घोषित कर सके;* ऐसे में संसद राज्य सूची के उस विषय पर भी कानून बना सकती है। *एक माह से अधिक यदि आपातकाल लागू रखना हो तो उस प्रस्ताव का अनुमोदन लोकसभा तथा राज्यसभा दोनों से होना जरूरी है*।

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*वैज्ञानिक नाम* 

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1. मनुष्य - *होमो सैपियंस* vvi


2. मेढक - *राना टिग्रिना* vvi


3. बिल्ली - *फेलिस डोमेस्टिका* vvi


4. कुत्ता - *कैनिस फैमिलियर्स* vvi


5. गाय - *बॉस इंडिकस* 


6. भैँस - *बुबालस बुबालिस* 

7. बैल - *बॉस प्रिमिजिनियस टारस* 


8. बकरी - *केप्टा हिटमस* 


9. भेँड़ - *ओवीज अराइज* 


10. सुअर - *सुसस्फ्रोका डोमेस्टिका* 


11. शेर - *पैँथरा लियो* vvi 


12. बाघ - *पैँथरा टाइग्रिस* vvi


13. चीता - *पैँथरा पार्डुस* vvi

14. भालू - *उर्सुस मैटिटिमस कार्नीवेरा* 


15. खरगोश - *ऑरिक्टोलेगस कुनिकुलस* 


16. हिरण - *सर्वस एलाफस* 


17. ऊँट - *कैमेलस डोमेडेरियस* 


18. लोमडी - *कैनीडे* 


19. लंगुर - *होमिनोडिया* 


20. बारहसिँघा - *रुसर्वस डूवासेली* 


21. मक्खी - *मस्का डोमेस्टिका* 


22. आम - *मैग्नीफेरा इंडिका* vvi


23. धान - *औरिजया सैटिवाट* 


24. गेहूँ - *ट्रिक्टिकम एस्टिवियम* 


25. मटर - *पिसम सेटिवियम* 


26. सरसोँ - *ब्रेसिका कम्पेस्टरीज* 


27. मोर - *पावो क्रिस्टेसस* 


28. हाथी - *एफिलास इंडिका* 


29. डॉल्फिन - *प्लाटेनिस्टा गैँकेटिका* 


30. कमल - *नेलंबो न्यूसिफेरा गार्टन* 


31. बरगद - *फाइकस बेँधालेँसिस* 


32. घोड़ा - *ईक्वस कैबेलस* 


33. गन्ना - *सुगरेन्स औफिसीनेरम* 


34. प्याज - *ऑलियम सिपिया* 


35. कपास - *गैसीपीयम* 


36. मुंगफली - *एरैकिस* 


37. कॉफी - *कॉफिया अरेबिका* 


38. चाय - *थिया साइनेनिसस* 


39. अंगुर - *विटियस* 


40. हल्दी - *कुरकुमा लोँगा* 


41. मक्का - *जिया मेज* 


42. टमाटर - लाइकोप्रेसिकन *एस्कुलेँटम* 


43. नारियल - *कोको न्यूसीफेरा* 


44. सेब - *मेलस प्यूमिया/डोमेस्टिका* 


45. नाशपाती - *पाइरस क्यूमिनिस* 


46. केसर - *क्रोकस सैटिवियस* 


47. काजू - *एनाकार्डियम अरोमैटिकम* 


48. गाजर - *डाकस कैरोटा*  


49. अदरक - *जिँजिबर ऑफिसिनेल* 


50. फुलगोभी - *ब्रासिका औलिरेशिया*


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1.बिहार में पहला सैनिक विद्रोह कब हुआ था ?

*उत्तर:12 जून 1857*


2.बिहार में 1857 का सैनिक विद्रोह कहां से शुरू हुआ था ?

*उत्तर: रोहिणी से*


3.1857 के विद्रोह के समय पटना का आयुक्त कौन था?

*उत्तर:विलियम टेलर*


4. पटना में किसने विद्रोह की शुरुआत की थी ?

*उत्तर :पीर अली खां*


5.दानापुर छावनी के भारतीय सैनिकों ने कब विद्रोह किया था ?

*उत्तर :25 July 1857*


6.सैनिक विद्रोह ने कब आरा शहर पर कब्जा कर लिया था?

*उत्तर :26 जुलाई 1857*


7. चंपारण के विद्रोहियों ने किस अंग्रेज अधिकारी की हत्या कर दी ?

*उत्तर :मेजर होम्स*


8.मोहम्मद हुसैन खान ने किस जिले में विद्रोह का नेतृत्व किया था?

*उत्तर :छपरा*

9. 1857 के विद्रोह से बिहार का कौन सा भाग अप्रभावित रहा ?

*उत्तर: मुंगेर*


10.1857 विद्रोह के दौरान अंग्रेज के युद्ध कौन छापामार युद्ध करता रहा?

*उत्तर :अमर सिंह*


11. जगदीशपुर में किसके नेतृत्व में समानांतर सरकार की स्थापना की गई?

*उत्तर :अमर सिंह*


12. जगदीशपुर में अमर सिंह के नेतृत्व में स्थापित सरकार का प्रधान कौन था?

*उत्तर: हरी किशन सिंह*


 13.विद्रोही भारतीय सैनिकों ने किसे अपना नेता चुना?

*उत्तर :कुंवर सिंह*


 14.कुंवर सिंह ने किस अंग्रेज कैप्टन के साथ अंतिम युद्घ किया ?

*उत्तर: लुगाई*

15.किस अंग्रेज अधिकारी ने कुंवर सिंह को मिलने के लिए पटना आमंत्रित किया था।

*उत्तर: सेल्यूलस*


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शुक्रवार, 17 मई 2024

Science Revision


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 *Science/विज्ञान* 

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 *पृष्ठ तनाव* 

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*संसंजक बल (Cohesive Force):* 

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*एक ही पदार्थ के अणुओं के मध्य लगने वाले आकर्षण बल को संसंजक बल कहते हैं।* 


*ठोसों में संसंजक बल का मान अधिक होता है*, फलस्वरूप *उनके आकार निश्चित होते हैं।* 


*गैसों में संसंजक बल का मान नगण्य* होता है।



2.*आसंजक बल (Adhesive Force):* 

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*दो भिन्न पदार्थों के अणुओं के बीच लगने वाले आकर्षण बल को आसंजक बल कहते हैं।* 


*आसंजक बल के कारण ही एक वस्तु दूसरे से चिपकती* है।


3.*पृष्ठ तनाव (Surface tension):* 

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*द्रव के स्वतंत्र पृष्ठ में कम-से- कम क्षेत्रफल प्राप्त करने की प्रवृत्ति होती है, जिसके कारण उसका पृष्ठ सदैव तनाव की स्थिति में रहती है। इसे ही पृष्ठ तनाव कहते हैं। किसी द्रव का पृष्ठ तनाव वह बल है, जो द्रव के पृष्ठ पर खींची गयी काल्पनिक रेखा की इकाई लम्बाई पर रेखा के लम्बवत् कार्य करता है। यदि रेखा की लम्बाई (l) पर F बल कार्य करता है, तो-*


*पृष्ठ तनाव, T=F  T =*


4.*पृष्ठ तनाव का SI मात्रक न्यूटन मीटर होता है।*


5.*द्रव के पृष्ठ के क्षेत्रफल में एकांक वृद्धि करने के लिए किया गया कार्य द्रव के पृष्ठ तनाव के बराबर होता है। इसके अनुसार पृष्ठ तनाव का मात्रक जूल/मीटर2 होगा।*


6.*द्रव का ताप बढ़ाने पर पृष्ठ तनाव कम हो जाता है और क्रांतिक ताप (critical temp) पर यह शून्य हो जाता है।*


*नोटः घुलनशील नमक मिलाने पर जल का पृष्ठ तनाव बढ़ जाता है।*

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 *Science/विज्ञान* 

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 *ध्वनि तरंग* 

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1.*ध्वनि तरंग अनुदैर्ध्य यांत्रिक तरंगें होती हैं।*


2. *ध्वनि तरंगों का आवृत्ति परिसर :* 

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1. *अवश्रव्य तरंगें (Infrasonic Waves): (20 Hz से नीचे की आवृत्ति वाली ध्वनि तरंगों) को 'अवश्रव्य तरंगें' कहते हैं। इसे हमारा कान सुन नहीं सकता है। इस प्रकार की तरंगों को बहुत बड़े आकार के स्रोतों से उत्पन्न किया जा सकता है।*


2. *श्रव्य तरंगें (Audible Waves): (20Hz से 20,000 Hz) के बीच की आवृत्ति वाली तरंगों को 'श्रव्य तरंग' कहते हैं। इन तरंगों को हमारा कान सुन सकता है।*


3. *पराश्रव्य तरंगें (Ultrasonic Wave): (20,000 Hz से ऊपर की आवृत्ति वाली तरंगों) को पराश्रव्य तरंगें कहा जाता है। मनुष्य के कान इसे नहीं सुन सकता है। परन्तु कुछ जानवर जैसे- कुत्ता, बिल्ली, चमगादड़ आदि, इसे सुन सकते हैं। इन तरंगों को (गाल्टन की सीटी के द्वारा तथा दाब विद्युत् प्रभाव की विधि द्वारा क्वार्ट्ज के क्रिस्टल के कम्पनों से उत्पन्न करते) हैं। इन तरंगों की आवृत्ति बहुत ऊँची होने के कारण इसमें बहुत अधिक ऊर्जा होती है। साथ ही इनका तरंगदैर्ध्य छोटी होने के कारण इन्हें एक पतले किरण-पुंज के रूप में बहुत दूर तक भेजा जा सकता है।*



 *पराश्रव्य तरंगों के उपयोग:* 

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 *1. संकेत भेजने में* 


 *2. समुद्र की गहराई का पता लगाने में* 


 *3. कीमती कपड़ों, वायुयान तथा घड़ियों के पुर्जों को साफ करने में* 


 *4. कल-कारखानों की चिमनियों से कालिख हटाने में* 


 *5. दूध के अन्दर के हानिकारक जीवाणुओं को नष्ट करने में* 


 *6. गठिया रोग के उपचार एवं मस्तिष्क के ट्यूमर का पता लगाने में* 


 *7. भ्रूण की जाँच करने में* 


 *8. गुर्दा में बनने वाली पथरी की जाँच करने में तथा उसे तोड़ने में।* 

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 *Science/विज्ञान* 

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 *उष्मीय प्रसार*

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1. *जल का असामान्य प्रसारः प्रायः सभी द्रव गरम किये जाने पर आयतन में बढ़ते हैं, परन्तु जल 0°C से 4°C तक गरम करने पर आयतन में घटता* है तथा *4°C के बाद गरम करने पर आयतन में बढ़ना शुरू कर देता है।* 


2. *इसका अर्थ यह है कि 4°C पर जल का घनत्व अधिकतम होता है।*


*नोटः ठोस कार्बन डाइऑक्साइड को सूखी बर्फ (Dry ice)* कहा जाता है क्योंकि *यह समान बर्फ की तरह द्रव में परिवर्तित नहीं होती है, बल्कि ठोस से सीधे गैस में परिवर्तित हो जाती है।*


3. *ऊष्मा का संचरण :*

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 *ऊष्मा का एक स्थान से दूसरे स्थान जाने को ऊष्मा का संचरण कहते हैं।* 


*इसकी तीन विधियाँ हैं- 

 *1. चालन* 


 *2. संवहन* और 

   

   *3. विकिरण* ।


 *A चालन (Conduction):*

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 *चालन के द्वारा ऊष्मा पदार्थ में एक स्थान से दूसरे स्थान तक, पदार्थ के कणों को अपने स्थान का परिवर्तन किये बिना पहुँचती है।*


4. *ठोस में ऊष्मा का संचरण चालन विधि द्वारा ही होता है।*


5.*संवहन (Convection)*

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 *इस विधि में ऊष्मा का संचरण पदार्थ के कणों के स्थानान्तरण के द्वारा होता है। इस प्रकार पदार्थ के कणों के स्थानान्तरण से धाराएँ बहती हैं, जिन्हें संवहन धाराएँ कहते हैं।* 


6.*संवहन विधि में ऊष्मा की हानि सबसे तेज गति से होती है।*


7. *गैसों एवं द्रवों में ऊष्मा का संचरण संवहन द्वारा ही होता है।*


8.*रेफ्रिजरेटर में प्रशीत्तन पेटिका (Freezing chest) ऊपर में होती है ताकि रेफ्रिजरेटर का अन्य भाग संवहन के द्वारा ठंढी हो सके।*


9. *यदि रेफ्रिजरेटर के दरवाजे कुछ घंटो के लिए खुले छोड़ दे तो कमरे का तापमान बढ़ जाता है।*


9.*वायुमंडल संवहन विधि के द्वारा ही गरम* होता है।


10.*विकिरण (Radiation):* 

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*विकिरण विधि में ऊष्मा, गरम वस्तु से ठण्डी वस्तु की ओर बिना किसी माध्यम की सहायता के तथा विना माध्यम को गरम किये प्रकाश की चाल से सीधी रेखा में संचरित होती है।*

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 *Science/विज्ञान* 

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 *चुम्बकत्व* 

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1. *प्राकृतिक चुम्बक लोहे का ऑक्साइड (Fe3O4) है।* 

2. *इसका कोई निश्चित आकार नहीं होता है।*


3. *कृत्रिम विधियों द्वारा बनाए गये चुम्बक को कृत्रिम चुम्बक कहते हैं; यह लोहा, इस्पात कोबाल्ट आदि से बनाया जा सकता है।* 

4. *यह विभिन्न आकृति की होती है, जैसे-छड़ चुम्बक, घोड़ानाल चुम्बक, चुम्बकीय सूई आदि ।*


5. *चुम्बक लोहे को अपनी ओर आकर्षित करता है, इस गुण को चुम्बकत्व कहते हैं।* 

6. *चुम्बक के सिरों के समीप चुम्बकत्व सबसे अधिक होता है।* 

7. *वे क्षेत्र चुम्बक के ध्रुव (pole) कहलाते हैं।* 

8. *चुम्बक के ठीक मध्य में चुम्बकत्व नहीं होता।*


9. चुम्बक को क्षैतिज तल में स्वतंत्रतापूर्वक लटकाने पर *उसका एक ध्रुव सदैव उत्तर की ओर* तथा *दूसरा ध्रुव सदैव दक्षिण की ओर ठहरता* है। उत्तर की ओर ठहरने वाले ध्रुव को उत्तरी ध्रुव तया दक्षिण की ओर ठहरने वाले ध्रुव को दक्षिणी ध्रुव कहते हैं।


10. *चुम्बक के दो ध्रुवों को मिलाने वाली रेखा को चुम्बकीय अक्ष कहते* है।


11. *समान ध्रुव में प्रतिकर्षण* एवं *असमान ध्रुव में आकर्षण होता है।*


*नोट: यदि किसी चुम्बक का तीसरा ध्रुव हो, तो तीसरा ध्रुव परिणामी ध्रुव कहलाता है।*


12. *चुम्बक चुम्बकीय पदार्थों में प्रेरण (Induction) द्वारा चुम्बकत्व उत्पन्न कर देता है।*


13. .*चुम्बकीय क्षेत्र (मैग्नेटिक Field) :* 

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चुम्बक के चारों ओर *वह क्षेत्र, जिसमें चुम्बक के प्रभाव का अनुभव किया जा सकता है, 'चुम्बकीय क्षेत्र' कहलाता है।*


14.*चुम्बकीय  क्षेत्र की तीव्रता:*

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 चुम्बकीय क्षेत्र में क्षेत्र के लम्बवत् एकांक लम्बाई का ऐसा चालक तार रखा जाए जिसमें एकांक प्रबलता की धारा प्रवाहित हो रही हो तो चालक पर लगने वाला बल ही चुम्बकीय क्षेत्र की तीव्रता की माप होगी। *चुम्बकीय क्षेत्र की तीव्रता एक सदिश राशि है।* इसका *मात्रक न्यूटन ऐम्पियर-मी. अथवा वेबर/मी2 या टेसला (T) होता है।*


15.*चुम्बकीय बल रेखाएँ (Magnetic Lines of Force):*

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चुम्बकीय क्षेत्र में बल-रेखाएँ वे काल्पनिक रेखाएँ हैं, जो उस स्थान में चुम्बकीय क्षेत्र की दिशा को अविरत प्रदर्शन करती हैं। *चुम्बकीय बल-रेखा के किसी भी बिन्दु पर खींची गई स्पर्श-रेखा उस बिदु पर चुम्बकीय क्षेत्र की दिशा को प्रदर्शित करती है।*


*नोट : चुम्बकीय सुई उत्तर की तरफ संकेत करती है। मुक्त रूप से लटकी हुई चुम्बकीय सुई का अक्ष भौगोलिक अक्ष के साथ 18° का कोण बनाती है।* 


16.*चुम्बकीय बल-रेखाओं के गुण :*

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1.*चुम्बकीय बल-रेखाएँ सदैव चुम्बक के उत्तरी ध्रुव से निकलती हैं, तथा वक्र बनाती हुई दक्षिणी ध्रुव में प्रवेश कर जाती हैं और चुम्बक के अन्दर से होती हुई पुनः उत्तरी ध्रुव पर वापस आती हैं।*


2. *दो बल-रेखाएँ एक-दूसरे को कभी नहीं काटतीं।*


3. *चुम्बकीय क्षेत्र जहाँ प्रबल होता है वहाँ बल-रेखाएँ पास-पास होती हैं।*


4. *एक समान चुम्बकीय क्षेत्र की बल-रेखाएँ परस्पर समान्तर एवं बराबर-बराबर दूरियों पर होती हैं।*


17.*चुम्बकीय पदार्थ (Magnetic Substances):*

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1. *प्रति चुम्बकीय पदार्थ (Dia-Magnetic Substances):*

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 *प्रति चुम्बकीय पदार्थ वे पदार्थ हैं, जो चुम्बकीय क्षेत्र में रखे जाने पर क्षेत्र की विपरीत दिशा में चुम्बकित हो जाते हैं।* 


*जस्ता, बिस्मथ, ताँबा, चाँदी, सोना, हीरा, नमक, जल आदि प्रति चुम्बकीय पदार्थों के उदाहरण हैं।*


2. *अनुचुम्बकीय पदार्थ (Paramagnetic Substances):*

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*अनुचुम्बकीय पदार्थ वे पदार्थ हैं, जो चुम्बकीय क्षेत्र में रखने पर क्षेत्र की दिशा में थोड़ी सी (एक से कम) चुम्बकीय हो जाते हैं। प्लैटिनम, क्रोमियम, सोडियम, एल्युमिनियम, ऑक्सीजन आदि इसके उदाहरण हैं।*


3. *लौह चुम्बकीय (Ferromagnetic Substances) :*

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*लौह चुम्बकीय पदार्थ वे पदार्थ हैं, जो चुम्बकीय क्षेत्र में रखने पर क्षेत्र की दिशा में प्रबल रूप से चुम्बकित हो जाते हैं।*


 *लोहा, निकेल, कोबाल्ट, इस्पात इसके उदाहरण हैं।*


18.*डोमेन (Domains) :* 

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*लौह चुम्बकीय पदार्थ में प्रत्येक परमाणु ही एक चुम्बक होता है और उनमें असंख्य परमाणुओं के समूह होते  हैं जिन्हें डोमेन कहते हैं।* 


*एक डोमेन में 1018 से 1021 तक परमाणु होते हैं, लौह चुम्बकीय पदार्थों का तीव्र चुम्बकत्व इन डोमेनों के कारण ही होता है।*


19. *क्यूरी ताप (Curie Temperature):* 

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*क्यूरी ताप वह ताप है, जिसके ऊपर पदार्थ अनु चुम्बकीय व जिसके नीचे पदार्थ लौह चुम्बकीय होता है।* 


*लोहा एवं निकेल के लिए क्यूरी ताप के मान क्रमशः 770°C तथा 358°C होता है।*


20.*अस्थायी चुम्बक बनाने के लिए नर्म लोहे का प्रयोग किया जाता है।*


21. *स्थायी चुम्बक बनाने के लिए इस्पात का प्रयोग किया जाता है।*


*> भू-चुम्बकत्व (Terrestrial Magnetism):* 

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*किसी स्थान पर पृथ्वी के चुम्बकीय क्षेत्र को तीन तत्त्वों द्वारा व्यक्त किया जाता है दिकपात् कोण (angle of declination), नमन कोण (angle of dip) तथा चुम्बकीय क्षेत्र की क्षैतिज घटक (horizontal component of earth's magentic field)*


1. *दिक्पाल कोणः*

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 *किसी स्थान पर भौगोलिक याम्योत्तर तथा चुम्बकीय याम्योत्तर के बीच के कोण को दिक्पाल कोण कहते हैं।*


2. *नमन कोण :*

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 *किसी स्थान पर पृथ्वी का सम्पूर्ण चुम्बकीय क्षेत्र क्षैतिज तल के साथ जितना कोण बनता है, उसे उस स्थान का नमन कोण कहते हैं। पृथ्वी के *ध्रुव पर नमन कोण का मान 90° तथा विषुवत् रेखा पर 0° होता है।*


3. *चुम्बकीय क्षेत्र के क्षैतिज घटक पृथ्वी के सम्पूर्ण चुम्बकीय क्षेत्र के क्षैतिज घटक (H) अलग-अलग स्थानों पर अलग-अलग होता है। परन्तु इसका मान लगभग 0.4 गाँस या 0.4 × 104 टेसला होता है।*


नोट : पृथ्वी एक बहुत बड़ा चुम्बक है, *इसका चुम्बकीय क्षेत्र दक्षिण से उत्तर दिशा में विस्तृत होता है।*

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 *Science/विज्ञान* 

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*नाभिकीय विखंडन तथा संलयन* 

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1.*नाभिकीय विखंडन (Nuclear Fission)*

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1. *वह नाभिकीय प्रतिक्रिया जिसमें कोई एक भारी नाभिक दो भागों में टूटता है, नाभिकीय विखण्डन कहलाता है।* 

2. *विखण्डन के दौरान उत्पन्न ऊर्जा को नाभिकीय ऊर्जा कहते हैं।*


3. *सबसे पहले नाभिकीय विखंडन (fission) अमेरिकी वैज्ञानिक स्ट्रासमैन एवं हॉन के द्वारा दिखाया गया।* 

4. *इन्होंने जब यूरेनियम-235 पर न्यूट्रॉनों की बमबारी की तो पाया कि यूरेनियम के नाभिक दो खण्डों में विभाजित हो जाते हैं।*


 *श्रृंखला अभिक्रिया (Chain Reaction)* 

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5. *जब यूरेनियम पर न्यूट्रॉनों की बमबारी की जाती है, तो एक यूरेनियम नाभिक के विखंडन पर बहुत अधिक ऊर्जा व तीन नए न्यूट्रॉन उत्सर्जित होते हैं।*

 6. *ये उत्सर्जित न्यूट्रॉन यूरेनियम के अन्य नाभिकों को विखण्डित करते हैं। इस प्रकार यूरेनियम नाभिकों के विखंडन की एक श्रृंखला बन जाती है। इसे ही श्रृंखला अभिक्रिया कहते हैं।*


7. *श्रृंखला अभिक्रिया दो प्रकार की होती है।* 

8. *1.अनियंत्रित श्रृंखला अभिक्रिया* 2. *नियंत्रित श्रृंखला अभिक्रिया*


1. *अनियंत्रित मृखला अभिक्रिया (Uncontrolled chain reaction) इस अभिक्रिया में तीन नए निकलने वाले न्यूट्रॉन पर नियत्रंण नहीं होता, जिसके कारण नाभिकों के विखंडन की दर, 1, 3, 9, 27... के अनुसार होती है, फलस्वरूप ऊर्जा अत्यन्त तीव्र गति से उत्पन्न होती है तथा बहुत कम समय में बहुत अधिक विनाश कर सकती है।* 

2. *इस अभिक्रिया में प्रचण्ड विस्फोट होता है।* 

3. *_परमाणु बम_ में यही अभिक्रिया होती है।*


9. *समृद्ध यूरेनियम:*

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*जिस यूरेनियम में यूरेनियम-235 की मात्रा अधिक होती है उसे समृद्ध यूरेनियम कहते हैं।* 


10.*परमाणु बम बनाने के लिए समृद्ध यूरेनियम का ही उपयोग होता है।*


11.*परमाणु बम (Atom Bomb)* 

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*1.परमाणु बम का विकास जे. रॉबर्ट ओपेनहीयर के निर्देशन में अमेरिका के द मैनहट्टन प्रोजेक्ट के तहत द्वितीय विश्वयुद्ध के दौरान हुआ।* 


2.*परमाणु बम को बनाने के लिए यूरेनियम (235) तथा प्लूटोनियम (Pu29) का प्रयोग किया जाता है।* 


3.*यह नाभिकीय विखंडन के सिद्धान्त पर आधारित है।* 


4. *परमाणु बम का सर्वप्रथम प्रयोग द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान संयुक्त राज्य अमेरिका के द्वारा जापान के विरुद्ध किया गया था।* 

5. *प्रथम परमाणु बम यूरेनियम 235 से बना लिटिल बॉय (little boy) 6 अगस्त, 1945 को जापान के हिरोशिमा शहर पर* तथा *दूसरा परमाणु बम प्लूटोनियम 239 से बना फैटमैन (Fatman) 9 अगस्त, 1945 को जापान के नागासाकी शहर पर गिराया गया*

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बुधवार, 15 मई 2024

बाल विकास पॉइंट्स

 बाल विकास 

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 *D.el.ed/ B.ed* 

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1.*बालक अपने पूर्व अनुभवों के आधार पर अपनी नवीन सोच का विकास कर सकता है। इस प्रकार की सोच का विकास स्थायी ज्ञान में वृद्धि करता है। इस प्रकार शिक्षक अगर पाठ्य-पुस्तक के साथ अन्य संदर्भ जोड़ता है, तो अनुभव और गहन होता है।*


2.*वातावरण का अर्थ है-पर्यावरण अर्थात् चारों ओर घेरने वाला सामाजिक वातावरण । इससे विद्यालय में समाज के लोगों का आना-जाना बना रहता है, जिससे बालकों का सामाजिक अन्तर्सबन्ध स्थापित होता है, जो उसके समाजीकरण में सहायक सिद्ध होता है।*


3.*अनिवार्य रूप से किसी नई वस्तु का सृजन करना ही सृजनात्मकता है, इस प्रकार के बालकों का दृष्टिकोण सामान्य व्यक्तियों से अलग होता है और उनमें मौलिकता के दर्शन होते हैं।*


4. *बहुमानसिक योग्यता का सिद्धांत कैली महोदय ने दिया है, इनके अनुसार बालक कई प्रकार के कौशलों में निपुण होते हैं, इनमें सामाजिक योग्यता, संगीतात्मक योग्यता, यांत्रिक योग्यता आदि होती हैं।*


5.*भाषा विकास एक प्रक्रिया है। यह बालक के रोने-चिल्लाने से शुरू होकर भाषा की बेहतर समझ तक होती है। यह भाषा विकास की पूर्णावस्था है।*


6.*शारीरिक विकास के अंतर्गत व्यक्ति के बाह्य एवं आंतरिक अवयवों का विकास शामिल है।* 


*अतः आयु वृद्धि के साथ-साथ व्यक्ति में होने वाले परिवर्तन को जानना चाहते हैं, तो शारीरिक विकास का अध्ययन करना पड़ेगा ।*


7. *नैतिक विकास में बालक को दो अवस्थाओं से गुजरना होता है-नैतिक वास्तविकता एवं नैतिक सापेक्षता, जिसे जीन पियाज ने दिया है।*


8. *यह ऐसी शिक्षा पद्धति है, जिसमें बालक को लिखना सिखाने में आँखें, कान एवं हाथ तीनों के समुचित प्रयोग पर बल दिया जाता है। इसमें भाषा शिक्षा पर जोर है और इस पद्धति का उद्देश्य मातृभाषा में शिक्षा का है।*


9. *समाजीकरण बालक को एक सामाजिक प्राणी बनाता है। इससे व्यक्ति में सहयोग की भावना, समाज के प्रति संवेदनशीलता का विकास होता है और समाज से अन्तःक्रिया के कारण बालक में परस्पर सहयोग की भावना जागृत होती है।*


10. *आज की शिक्षा पद्धति बाल-केन्द्रित है।*

 *इसमें प्रत्येक बालक की ओर अलग से ध्यान दिया जाता है। इससे समाज के हर तबके का विकास संभव होगा और तब जाकर शिक्षा सार्थक होगी।*


11. *परीक्षा का अर्थ है-बालक के ज्ञान को परखना ।* 


*इसके लिए आवश्यक है कि परीक्षा की बेहतर विधि हो ताकि सही मूल्यांकन संभव हो । इसके लिए परीक्षा योजना में व्यावहारिकता (आवश्यकतानुरूप) हो, विश्वसनीय हो एवं प्रणाली वैध हो ।*


12. *प्रेरणा अर्थात् कार्य के प्रति उत्साह और यह तब आती है, जब विद्यार्थी में विषय के प्रति रुचि हो और दूसरा व्यक्ति तब प्रेरित होता ह जब उसमें प्रोत्साहन एवं अकांक्षा हो अर्थात् रुचि प्रेरणा से आती है।*


13. *भाषण मौखिक अभिव्यक्ति का माध्यम है।* 


*भाषण के दौरान कुछ पूर्वनिर्धारित योजनाएँ बनानी होती हैं ताकि इसे प्रस्तुत करते समय त्रुटि की संभावना कम हो।* 

*सबसे पहले इसकी तैयारी हो, समाजीकरण हो, तुलना हो और आखिरी में इसे प्रस्तुत किया जाए ।*


14. *समाज के कुछ अपने मूल्य होते हैं, जिन्हें समाजीकरण के माध्यम से बालक को सिखाया जाता है।* 


*समाजीकरण की प्रक्रिया में विद्यालय एक महत्वपूर्ण भूमिका का निर्वाह करता है और अगर शिक्षक को समाज के मूल्यों का पता है और वह जागरूक है, तो वह मूल्यों को बालक तक पहुँचाता है एवं समाज की धरोहर को जीवित रखता है।*


15. *कोहलबर्ग ने चरित्र निर्माण या नैतिक विकास की तीन अवस्था बताई, जिसमें तीसरी अवस्था आत्म अंगीकृत नैतिक मूल्य स्तर है, जिसमें यह बताया है कि नैतिक विकास में अच्छे आपसी व्यवहार महत्वपूर्ण हैं।*


16.*परिवार का वातावरण, कक्षा का वातावरण तथा पास-पड़ोस का वातावरण किसी भी बालक के मानसिक रूप से अस्वस्थ होने का कारण हो सकते हैं।*


17. *सृजनात्मकता मौलिक परिणामों को व्यक्त करने की एक मानसिक प्रक्रिया है, जिसमें खोजपूर्ण प्रवृत्ति, अच्छी अन्तर्दृष्टि तथा क्रियाशीलता का गुण पाया जाता है।*


18. *किशोरावस्था बाल विकास की दृष्टि से सर्वाधिक कठिन एवं समस्या वाली अवस्था है।* 


*बालक तथा बालिकाओं में इस अवस्था में अति तीव्र परिवर्तन होते हैं। स्टेनले हॉल के अनुसार, "किशोरावस्था जीवन में क्रांतिकारी परिवर्तन, कठिन संघर्ष और तूफानी दौर का समय है।"*


19. *पुस्तक को आँखों के नजदीक लाकर पढ़ना, शिक्षक से अक्षर स्पष्ट न दिखने की शिकायत करना तथा श्यामपट्ट पर लिखे कार्य को नोट बुक में न उतार पाना आंशिक दृष्टिदोष युक्त बालक के व्यवहार की प्रमुख विशेषताएँ हैं।* 


20. *थॉर्नडाइक द्वारा प्रतिपादित सीखने के 'प्रयास व त्रुटि' का नियम लक्ष्य को प्राप्त करने में सर्वाधिक महत्व देता है।*


21. *कम गति से सीखने वाले बच्चों में मुख्यतः किसी-न-किसी प्रकार की अधिगम संबंधी अक्षमता होती है, जो ज्ञानार्जन व शैक्षिक उपलब्धि को प्रभावित करती है। ऐसे बच्चों में सीखने, सुनने, बोलने, लिखने, तर्कशक्ति या गणितीय कौशल आदि से संबंधित समस्याओं का होना उनकी प्रमुख विशेषता है।*


22. *मानसिक पिछड़ेपन (मन्द-बुद्धि) का प्रमुख कारण वंशानुक्रम ही है। मन्द-बुद्धि अक्षमता को ही जन्मजात समझा जाता है, क्योंकि उन्हें इसका मुख्य भाग उनके माता-पिता के मानसिक पिछड़ेपन (मन्द-बुद्धिता) से मिलता है।*


23. *'रचनावाद' बच्चों को अपना ज्ञान स्वयं निर्माण करने का अवसर प्रदान करता है, जिससे उनमें प्रतिभा का विकास होता है।*


24. *सहयोग करने वालों में 'हम की भावना' का विकास और उनके साथ काम करने की क्षमता का विकास तथा संकल्प समाजीकरण है, जिसकी जाँच हेतु समाजमिति तकनीक का प्रयोग किया जाता है।*


25. *शिक्षक हमेशा बच्चों की नजर में एक आदर्श होते हैं। अतः एक प्रभावी शिक्षक के लिए यह अत्यन्त आवश्यक है कि उसका उच्च सामाजिक-आर्थिक स्तर हो ।*


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शुक्रवार, 10 मई 2024

जनगणना


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*भारत की जनगणना पर आधारित* 

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1.न्यूनतम जनसंख्या वाला जिला - *दिवांग घाटी (अरुणाचल प्रदेश)* 


2.अधिक जिलो वाला राज्य - *उत्तरप्रदेश* 


3.भारत की साक्षरता दर - *74.0%* 


4.पुरुष साक्षरता दर - *82.14%* 


5.महिला साक्षरता दर - *65.46%* 


6.सर्वाधिक साक्षरता दर वाले राज्य - *केरल (93.9%), मिजोरम (91.6%)* 


7.सर्वाधिक पुरष साक्षरता दर वाले राज्य - *केरल (96.0 %), मिजोरम (93.7 %)* 


8.सर्वाधिक महिला साक्षरता दर वाले राज्य - *केरल (92.0 %), मिजोरम (89.4 %)* 


9.न्यूनतम साक्षरता दर वाले राज्य - *बिहार(63.8%), अरुणाचल प्रदेश (67%),राजस्थान ( 67.1%)* 


10.न्यूनतम पुरुष साक्षरता दर वाले राज्य - *बिहार (73.4%), अरुणाचल प्रदेश (73.7%), आंध्रप्रदेश (75.6%)* 


11.न्यूनतम महिला साक्षरता दर वाले राज्य - *राजस्थान - (52.7%), बिहार (53.3%),झारखंड (56.2%)* 


12.सर्वाधिक साक्षरता दर वाला जिला - *सरचिप (मिजोरम)* 


13.न्यूनतम साक्षरता दर वाला जिला - *अलीराजपुर (म.प्र.)* 


14.भारत की जनसंख्या घनत्व - *382व्यक्ति वर्ग किमी* 


15.सर्वाधिक घनत्व वाले राज्य - *बिहार(1106 वर्ग किमी), प. बंगाल (1028 वर्ग किमी)* 


16.न्यूनतम घनत्व वाले राज्य - *अरुणाचल प्रदेश - 17व्यक्ति वर्ग किमी* 


17.सर्वाधिक घनत्व वाला जिला - *उत्तर पूर्व दिल्ली* 


18.न्यूनतम घनत्व वाला जिला - *दिवांग घाटी (अरुणाचल प्रदेश)* 


19.भारत में लिंगानुपात - *943 महिला /1000 पुरुष* 


20.शिशु लिंगानुपात - *919*

21.सर्वाधिक लिंगानुपात वाले राज्य - *केरल - 1084, तमिलनाडु - 996, आन्ध्र प्रदेश -993* 


22.न्यूनतम लिंगानुपात वाला राज्य - *हरियाणा (879)* 


23.सर्वाधिक लिंगानुपात वाला जिला - *माहे (पुदुचेरी) 1176* 


24.न्यूनतम लिंगानुपात वाला जिला - *दमन व द्वीप (533)* 


25.सर्वाधिक लिंगानुपात वाला केंद्रशासित प्रदेश - *पुदुचेरी* 


26.सर्वाधिक जनसँख्या वाला केंद्रशासित प्रदेश - *दिल्ली* 


27.न्यूनतम जनसँख्या वाला केंद्रशासित प्रदेश - *लक्षद्वीप* 


28.सर्वाधिक जनसँख्या घनत्त्व वाला केंद्रशासित प्रदेश - *दिल्ली* 


29.न्यूनतम जनसंख्या घनत्त्व वाला केंद्रशासित प्रदेश- अण्डमान और निकोबार - *46 वर्ग किमी* 


30.सर्वाधिक साक्षरता वाला केंद शासित प्रदेश - *लक्षद्वीप* 


31.न्यूनतम साक्षरता वाला केंद शासित प्रदेश- *दादर एवं नागर हवेली ।* 




 *धन्यवाद*

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गुरुवार, 9 मई 2024

सीखना/Learning


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 *सीखना/अधिगम Learning* 

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1. *सारटेन, नॉर्थ, स्ट्रेंज तथा चैपमैन (Sartain, North, Strange and Chapman)के अनुसार, "सीखना एक ऐसी प्रक्रिया है जिसके द्वारा अनुभूति या अभ्यास के फलस्वरूप व्यवहार में अपेक्षाकृत स्थायी परिवर्तन होता है।"*


2. *रिली तथा लेविस (Reilly & Lewis) के अनुसार, "अभ्यास या अनुभूति से व्यवहार में धारण योग्य परिवर्तन को सीखना कहा जाता है।"*


3. *बालक जन्म लेने के साथ ही सीखना प्रारम्भ करता है। पहले वह माता के स्तन से दूध पीना सीखता है, तत्पश्चात् वह ध्वनि एवं प्रकाश के प्रति प्रतिक्रिया करना सीखता है। भूखे रहने पर वह रोना सीखता है ताकि माँ उसे दूध पिला दे। वोतल द्वारा दूध पिलाये जाने पर वह निपल मुँह में कैसे ले यह सीखता है।*


4. *थार्नडाइक के सीखने के नियम* 

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1. *थार्नडाइक ने सीखने की तीन प्रमुख विशेषताओं का वर्णन इस प्रकार किया है-*


*(a) सीखने की प्रक्रिया पशु में हो या मनुष्य में, समान ढंग से होती है।*


*(b) सीखना क्रमोत्तर होता है, न कि सूझपूर्ण होता है।*


*(c) सीखने में चिंतन या विवेचन का स्थान नहीं होता है।*


5. *थार्नडाइक ने सीखने के सिद्धांत का तीन महत्वपूर्ण नियम तथा पाँच सहायक नियमों का भी वर्णन किया है। वे तीन महत्वपूर्ण नियम इस प्रकार हैं-*


*(a) तत्परता का नियम (Law of Readiness):* तत्परता के नियम का तात्पर्य यह है कि जब प्राणी अपने को किसी कार्य को करने के लिए तैयार समझता है तो बहुत शीघ्र कार्य करता है या सीख लेता है और उसे अधिक मात्रा में सन्तोष भी मिलता है।


1.*तत्परता में कार्य करने की इच्छा निहित है।* इच्छा न होने पर प्राणी डर के मारे अवश्य बैठ जायेगा लेकिन वह कुछ नहीं सीख पायेगा। तत्परता ही बालक के ध्यान को केन्द्रित करने में सहायक होती है।


2. तत्परता के नियम का अभिप्राय यह है कि *जब प्राणी किसी कार्य को करने के लिए तैयार रहता है तो उसमें उसे आनन्द आता है और वह उसे शीघ्र सीख लेता है। जिस कार्य के लिए वह तैयार नहीं होता और उस कार्य को करने के लिए बाध्य किया जाता है तो वह झुंझला जाता है और शीघ्र सीख भी नहीं पाता है।*


6. *थार्नडाइक ने तत्परता के नियम में तीन परिस्थितियों का वर्णन किया है-*


1. जब व्यक्ति किसी कार्य को करने के लिए तत्पर रहता है और उसे वह कार्य करने दिया जाता है, तो इससे उसे संतोष होता है।


2. जब व्यक्ति किसी कार्य को करने के लिए तत्पर रहता है और उसे वह कार्य करने नहीं दिया जाता है, तो इससे उसमें खीझ (Annoyance) उत्पन्न होती है।


3. जब व्यक्ति किसी कार्य को करने के लिए तत्पर नहीं रहता है और उसे वह कार्य करने के लिए बाध्य किया जाता है, तो इससे भी उसमें खीझ होती है।


7 .*सीखने वाले व्यक्ति में संतोष (Satisfaction) या खीझ (Annoyance) होना व्यक्ति की तत्परता (Readiness) पर निर्भर करता है।*


*शैक्षिक दृष्टिकोण से यह नियम काफी महत्वपूर्ण है। इसके शैक्षिक महत्व इस प्रकार हैं-*


8. शिक्षकों को पहले *बालकों की अभिरुचि एवं अभिक्षमता (Aptitude) का मापन कर लेना चाहिए ताकि उनकी तत्परता का उन्हें सही-सही ज्ञान हो।*


9. शिक्षकों को बालकों की *तत्परता के अनुरूप शिक्षण देना चाहिए।*


10. ऐसी परिस्थिति में बालकों में *आत्म-संतोष (Self Satisfaction) अधिक होगा और वे विषय को ठीक ढंग से सीखकर लंबे समय तक उसे धारण (Retain) किये रहेंगे।*



11.  *अभ्यास का नियम (Law of Exercise):* अभ्यास के नियम के अनुसार किसी क्रिया को बार-बार दुहराने से वह याद हो जाती है और छोड़ देने पर या अभ्यास नहीं करने पर वह भूल जाती है। इस प्रकार यह नियम प्रयोग करने तथा प्रयोग नहीं करने पर आधारित है।


12.अभ्यास का नियम यह बताता है कि *अभ्यास करने से उद्दीपन (Stimulus) तथा अनुक्रिया (Response) का संबंध मजबूत होता है तथा अभ्यास रोक देने से यह संबंध कमजोर पड़ जाता है या उसका विस्मरण हो जाता है।*


13. जब हम किसी पाठ या विषय को बार-बार दोहराते हैं तो उसे सीख जाते हैं। *इसे थार्नडाइक ने उपयोग का नियम कहा है।* जब हम किसी पाठ या विषय को दोहराना बन्द कर देते हैं तो उसे भूल जाते हैं, इसे उन्होंने *अनुपयोगी नियम (Law of Disuse) कहा है।*


14. *अभ्यास के नियम का शैक्षिक महत्व निम्नलिखित है-*


1. शिक्षकों को चाहिए कि वे छात्रों को कक्षा (Class Room) में *अधिक से अधिक बार विषय या पाठ को दोहराने दें।* इसमें *छात्रों को जल्दबाजी नहीं बरतनी चाहिए।*


2. छात्र किसी सीखे गये विषय को अधिक दिनों तक याद रखें, इसके लिए *शिक्षकों को चाहिए कि वे छात्रों से बीच-बीच में सीखे गये विषय को देखते रहने का सुझाव दें।*

3.  शिक्षकों को कक्षा में यह सचेत कर देना चाहिए कि *यदि छात्र सीखे गये विषय को बीच-बीच में दोहराते नहीं रहेंगे तो उनका विस्मरण हो जायेगा।*


 *आलोचना :* थार्नडाइक के *अभ्यास के नियम में समझने पर बल नहीं देकर यंत्रवत् पुनरावृत्ति या अभ्यास पर बल दिया गया।* मानव जीवन में इस प्रकार की यंत्रवत् पुनरावृत्ति नहीं मिलती। 


15. थार्नडाइक ने इस कमी को दूर करने के लिए 1935 के लगभग उसने अभ्यास के नियम में संशोधन कर *नियन्त्रित अभ्यास का नियम प्रतिपादित किया।*


*नियन्त्रित अभ्यास की क्रिया में क्रिया की पुनरावृत्ति के साथ-साथ अर्थ को समझने, तर्क करने, विचारों का साहचर्य, सीखने के संकेतों का अनुसरण आदि सभी क्रियाएँ सम्मिलित होती हैं।*


*(c) प्रभाव का नियम (Law of Effect):* इस नियम को 'सन्तोष असन्तोष का नियम' भी कहते हैं। इसके अनुसार जिस कार्य को करने से प्राणी को हितकर परिणाम प्राप्त होते हैं और जिसमें सुख और सन्तोष प्राप्त होता है, उसी को व्यक्ति दोहराता है। जिस कार्य को करने से कष्ट होता है और दुःखद फल प्राप्त होता है, उसे व्यक्ति नहीं दोहराता है।

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शुक्रवार, 3 मई 2024

Nuclear fission/ fussion


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 *Science/विज्ञान* 

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*नाभिकीय विखंडन तथा संलयन* 

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1.*नाभिकीय विखंडन (Nuclear Fission)*

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1. *वह नाभिकीय प्रतिक्रिया जिसमें कोई एक भारी नाभिक दो भागों में टूटता है, नाभिकीय विखण्डन कहलाता है।* 

2. *विखण्डन के दौरान उत्पन्न ऊर्जा को नाभिकीय ऊर्जा कहते हैं।*


3. *सबसे पहले नाभिकीय विखंडन (fission) अमेरिकी वैज्ञानिक स्ट्रासमैन एवं हॉन के द्वारा दिखाया गया।* 

4. *इन्होंने जब यूरेनियम-235 पर न्यूट्रॉनों की बमबारी की तो पाया कि यूरेनियम के नाभिक दो खण्डों में विभाजित हो जाते हैं।*


 *श्रृंखला अभिक्रिया (Chain Reaction)* 

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5. *जब यूरेनियम पर न्यूट्रॉनों की बमबारी की जाती है, तो एक यूरेनियम नाभिक के विखंडन पर बहुत अधिक ऊर्जा व तीन नए न्यूट्रॉन उत्सर्जित होते हैं।*

 6. *ये उत्सर्जित न्यूट्रॉन यूरेनियम के अन्य नाभिकों को विखण्डित करते हैं। इस प्रकार यूरेनियम नाभिकों के विखंडन की एक श्रृंखला बन जाती है। इसे ही श्रृंखला अभिक्रिया कहते हैं।*


7. *श्रृंखला अभिक्रिया दो प्रकार की होती है।* 

8. *1.अनियंत्रित श्रृंखला अभिक्रिया* 2. *नियंत्रित श्रृंखला अभिक्रिया*


1. *अनियंत्रित मृखला अभिक्रिया (Uncontrolled chain reaction) इस अभिक्रिया में तीन नए निकलने वाले न्यूट्रॉन पर नियत्रंण नहीं होता, जिसके कारण नाभिकों के विखंडन की दर, 1, 3, 9, 27... के अनुसार होती है, फलस्वरूप ऊर्जा अत्यन्त तीव्र गति से उत्पन्न होती है तथा बहुत कम समय में बहुत अधिक विनाश कर सकती है।* 

2. *इस अभिक्रिया में प्रचण्ड विस्फोट होता है।* 

3. *_परमाणु बम_ में यही अभिक्रिया होती है।*


9. *समृद्ध यूरेनियम:*

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*जिस यूरेनियम में यूरेनियम-235 की मात्रा अधिक होती है उसे समृद्ध यूरेनियम कहते हैं।* 


10.*परमाणु बम बनाने के लिए समृद्ध यूरेनियम का ही उपयोग होता है।*


11.*परमाणु बम (Atom Bomb)* 

============

*1.परमाणु बम का विकास जे. रॉबर्ट ओपेनहीयर के निर्देशन में अमेरिका के द मैनहट्टन प्रोजेक्ट के तहत द्वितीय विश्वयुद्ध के दौरान हुआ।* 


2.*परमाणु बम को बनाने के लिए यूरेनियम (235) तथा प्लूटोनियम (Pu29) का प्रयोग किया जाता है।* 


3.*यह नाभिकीय विखंडन के सिद्धान्त पर आधारित है।* 


4. *परमाणु बम का सर्वप्रथम प्रयोग द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान संयुक्त राज्य अमेरिका के द्वारा जापान के विरुद्ध किया गया था।* 

5. *प्रथम परमाणु बम यूरेनियम 235 से बना लिटिल बॉय (little boy) 6 अगस्त, 1945 को जापान के हिरोशिमा शहर पर* तथा *दूसरा परमाणु बम प्लूटोनियम 239 से बना फैटमैन (Fatman) 9 अगस्त, 1945 को जापान के नागासाकी शहर पर गिराया गया*

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गुरुवार, 2 मई 2024

Atomic physics


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*Science/विज्ञान*

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 *परमाणु भौतिकी* 


1. परमाणु भौतिकी के *पिता अर्नेस्ट रदरफोर्ड को कहा जाता है।*


2. भारत में परमाणु *कार्यक्रम के पिता डॉ होमी जहांगीर भाभा को कहा जाता है।*


3. *परमाणु (Atom): परमाणु वे सूक्ष्मतम कण हैं, जो रासायनिक क्रिया में भाग ले सकते हैं, परन्तु स्वतंत्र अवस्था में नहीं रहते।* 

4. *परमाणु मुख्यतः तीन मूल कणों इलेक्ट्रॉन, प्रोटॉन व न्यूट्रॉन से मिलकर बना होता है।* 

5. *परमाणु के केन्द्र में एक नाभिक होता* है, जिसमें प्रोटॉन एवं न्यूट्रॉन रहते हैं, इलेक्ट्रॉन नाभिक के चारों ओर चक्कर लगाते हैं।


6. *परमाणु में प्रोटॉन एवं इलेक्ट्रॉन की संख्या समान* एवं *आवेश विपरीत होते* हैं, जिसके कारण यह *उदासीन होता* है।



7.*आज मूल कणों की संख्या 30 से ऊपर पहुँच चुकी है, कुछ प्रमुख मूल कणों का विवरण निम्न हैं-*


 8.*कण=खोजकर्ता* 

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1.पॉजिट्रॉन= *एंडरसन* 


2.न्यूट्रिनो= *पाऊली* 


3.पाई-पैसोन= *युकावा* =इलेक्ट्रॉन का 274 गुना


4.फोटॉन= *आइन्स्टीन* =इसका वेग प्रकाश के वेग

के बराबर होता है।


5.प्रोटॉन= *गोल्डस्टीन* 


6.न्यूट्रॉन= *चैडविक* 


7.इलेक्ट्रॉन = *जे. जे. थॉमसन* 


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रोग


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 *जीवाणु जनित रोग* 

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 *जीवाणु* 

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 *सबसे सरल एक कोशिकीय जीव* 


 *कुछ रोग के नाम* 

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 *1.क्षय रोग Tuberculosis (ट्यूबरकुलोसीस)* 

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प्रभावित अंग 

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 *फेफड़ा (lungs)* 


कारण

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माइकोबैक्टेरियम ट्यूबरक्लोसिस 


खोजकर्ता 

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 *रॉबर्ट कोच* 


अन्य नाम

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 *यक्ष्मा* 


उपचार विधि

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 *DOTS (Directly Observed Treatment)* 


 *WHO द्वारा प्रस्तावित वर्ष 1994* 


MDR TB (Multi Drug Resistant TB)

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 *तपेदिक के बैक्टीरिया पर एंटीबायोटिक औषधियों का प्रभाव खत्म हो जाना ।* 


कारण

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 *DOTS या दवाइयों का कोर्स पूरा न करना* 


लक्षण

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 *1.कफ के साथ खांसी* 


 *2.बलगम में खून* 


वैक्सीन

********"

 *BCG (Bacillus Calmette Guerin)* 


खोजकर्ता :

 *अल्बर्ट कामेट एवं कैमिल गुएरिन* 


 *2.प्लेग (Plague)* 

____________________

प्रभावित अंग 

***************

 *फेफड़ा एवं लसीका ग्रंथि* 


 *कारण* 

************

1.पश्चुरेला पेस्टिस (pasteurell pestis)

2.यर्सिनिया पेस्टिस (Yersinia pestis)


रोग वाहक

*************

 *पिस्सू (Flea)* 


लक्षण

********

 *1.बहुत तेज बुखार* 

 *2.शरीर पर गिल्टीया* 


 *3.हैजा (Cholera)* 

___________________

प्रभावित अंग: आंत

***************

कारण

**********

 *विब्रियो कोलरी* 


खोजकर्ता

*************

 *रॉबर्ट कोच* 


फैलने का माध्यम 

*********************

 *दूषित जल एवं भोजन* 


लक्षण 

***********

 *लगातार दस्त व उल्टियां* 


 *4.डिप्थीरिया (Diphtheria)* 

_____________________

प्रभावित अंग :

***************

 *श्वास नली* 


कारण:

***********

 *जीवाणु जनित* *कोरिनीबैक्टीरियम*

*डिप्थीरी* 

 

अन्य नाम:

 *1. रोहिणी*

 *2.गलघोटू रोग* 


 *लक्षण: सांस लेने में* *कठिनाई टांसिल बढ़ना* 

*वैक्सीन डीपीटी वैक्सीन* 


खोजकार्ता:

***************

 *एमिल वॉन बेहरिंग* 


 *5.काली खांसी* 

_____________

प्रभावित अंग:

*****************

 *श्वसन तंत्र* 


कारण:

*********

1.हिमोफिलस पर्टियूसिस 2.बोर्डेटेला पर्टियूसीससिस 


 अन्य नाम :

**************

 *कुकुर खांसी* 


लक्षण:

***********

 *लगातार खांसी* 


वैक्सीन: *डीपीटी वैक्सीन* 


 *6.निमोनिया* 

___________________

प्रभावित अंग

***************

 *फेफड़ा* 


 कारण

***********

 *स्ट्रैप्टो कोकस न्यूमोनी* 

 लक्षण:

*************

 *तेज बुखार* 

*फेफड़ों में पानी आना* 


 वैक्सीन:

**************

 *न्यूमोकोकल वैक्सीन* 


 *7.टाइफाइड* 

____________________

प्रभावित अंग: *आंत* 

***************

कारण:

************

 *सेलमोनेला टायफी* 


*फैलने का माध्यम* 

***************

 *गंदा पेयजल* 


लक्षण:

***********

 *1. तेज बुखार* 

*2.सिर दर्द* 


अन्य नाम:

************** 

 *मियादी बुखार* 


टीका:

********* 

 *TAB वैक्सीन* 


खोजकर्ता

**************

 *Dr.डेनियल ई. सालमन (1885)* 


 *8.टीटेनस* 

____________

 *प्रभावित अंग:* 

***************

 तंत्रिका तंत्र 


 *कारण :* 

*********

क्लास्ट्रीडियम टिटेनी


 *प्रसार का तरीका* 

****************

1.मुख्यता जंग लगे लोहे या धातु के टुकड़ों के घाव से संक्रमण 


 *लक्षण* 

**********

तेज बुखार 

शरीर में ऐठन

जबरा बंद होना 


 *वैक्सीन:* 

**********

 DPT वैक्सीन


 *खोजकर्ता: लुई पाश्चर* 



 *9.कुष्ठ रोग* 

__________

 *फैलने का माध्यम :* 

******************

शारीरिक संपर्क से प्रसार


 *कारण:* 

**************** माइकोबैक्टीरिया लप्री व माइकोबैट्रियम लेप्रोमटॉसिस


 *लक्षण:* 

***********

1.शरीर पर चकत्ते एवं उनमें संवेदनशीलता खत्म होना। 2.उत्तको का अपक्षय 


 *उपचार हेतु औषधियां:* 

*******************

MDT(Multi Drug Treatment)

1 डेपसोन 

2.रिफैंपिसिन

3. क्लोफाजिमिन


कुष्ठ रोग के इलाज का पता लगाया:

 *ऐलिस बॉल ने* 

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Fruit


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 *Science/विज्ञान:07*

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 *फल एवं उसके खाने योग्य भाग* 

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1. सेब= *पुष्पासन* 


2. नाशपाती= *पुष्पासन* 


3. आम = *मध्य फलभित्ति* 


4. अमरूद= *फलभित्ति, बीजाण्डासन* 


5. अंगूर= *फलभित्ति, बीजाण्डासन* 


6. पपीता= *मध्य फलभित्ति* 


7. नारियल= *भ्रूणपोष* 


8. टमाटर= *फलभित्ति व बीजाण्डासन* 


9. केला= *मध्य एवं अन्तःभित्ति* 


10. गेहूँ = *भ्रूणपोष एवं भ्रूण* 


11. काजू= *पुष्पवृन्त, बीजपत्र* 


12. लीची = *एरिल* 


13. चना = *बीजपत्र एवं भ्रूण* 


14. मूँगफली= *बीजपत्र एवं भ्रूण* 


15. शहतूत= *रसीले परिदलपुंज* 


16. कटहल= *परिदलपुंज व बीज* 


17. अनन्नास= *परिदलपुंज* 


18. नारंगी = *जूसी हेयर* 


19. *फल का निर्माण अंडाशय से होता है।*

20.  *सम्पूर्ण फलों को तीन भागों में विभाजित किया गया है-*

 *1. सरल फल जैसे-* अमरूद, केला आदि। 


 *2. पुंज फल (Aggregate fruit): जैसे -* स्ट्राबेरी, रसभरी । 


 *3. सग्रंथित फल (Composite fruit): कटहल* , शहतूत आदि । 


21.*कुछ फलों के निर्माण में बाह्य दलपुंज, दलपुंज या पुष्पासन आदि भाग लेते हैं।* ऐसे फलों को *असत्य फल (False fruit)* कहते हैं। जैसे- *सेब, कटहल* आदि । 

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Photosynthesis


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 *Science/विज्ञान* 

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 *प्रकाश-संश्लेषण (Photosynthesis):* 

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1. *पौधों में जल, प्रकाश, पर्णहरित तथा कार्बन डाइऑक्साइड की उपस्थिति में कार्बोहाइड्रेट के निर्माण को प्रकाश संश्लेषण कहते हैं।*


2. *प्रकाश संश्लेषण के लिए आवश्यक है कार्बन डाइऑक्साइड, पानी, क्लोरोफिल और सूर्य का प्रकाश।*


3. *स्थलीय पौधे वायुमंडल* से *कार्बन डाइ ऑक्साइड* लेते हैं, जबकि *जलीय पौधे जल में घुली हुई कार्बन डाइऑक्साइड लेते हैं।*


4. *पत्ती की कोशिकाओं में जल शिरा से परासरण (Osmosis) द्वारा एवं CO 2, वायुमंडल से विसरण (Diffusion) द्वारा जाता है।*


5. *प्रकाश-संश्लेषण के लिए आवश्यक जल पौधों की जड़ों के द्वारा अवशोषित किया जाता है एवं प्रकाश संश्लेषण के दौरान निकलने वाला ऑक्सीजन इसी जल के अपघटन से प्राप्त होता है।*


6. *क्लोरोफिल पत्तियों में हरे रंग का वर्णक है।*

 इसके चार घटक हैं:- 

*क्लोरोफिल A*, 


 *क्लोरोफिल B,*


 *कैरोटीन* तथा 


7. *जैथोफिल* । इनमें *क्लोरोफिल A एवं B हरे रंग का होता है और ऊर्जा स्थानांतरित करता है। यह प्रकाश संश्लेषण का केन्द्र होता है।*


8. *क्लोरोफिल के केन्द्र में मैग्नीशियम का एक परमाणु होता है।*


9.*क्लोरोफिल प्रकाश में बैगनी, नीला तथा लाल रंग को ग्रहण करता है।*


10. *प्रकाश-संश्लेषण की दर लाल रंग के प्रकाश में सबसे अधिक* एवं 


*बैंगनी रंग के प्रकाश में सबसे कम होती है।*


11. *प्रकाश-सश्लेषण की क्रिया एक उपचयन (Oxidation) अपचयन (Reduction) की अभिक्रिया है।* इसमें *जल का उपचयन ऑक्सीजन के बनने* में तथा *कार्बन डाई ऑक्साइड का अपचयन ग्लूकोज के निर्माण में* होता है।


12. *प्रकाश-संश्लेषण क्रिया की दो अवस्थाएँ होती हैं-*

1. *प्रकाश रासायनिक क्रिया (Photochemical reaction)* 


*2. रासायनिक प्रकाशहीन क्रिया (Dark chemical reaction)*


*1. प्रकाश रासायनिक क्रिया यह किया क्लोरोफिल के ग्रेना (Grana) भाग में सम्पन्न होती है। इसे हिल किया (Hill reaction) भी कहते हैं।* इस प्रक्रिया में *जल का अपघटन होकर हाइड्रोजन आयन तथा इलेक्ट्रॉन बनता है*। 


13.*जल के अपघटन के लिए ऊर्जा प्रकाश से मिलती है।*




2. रासायनिक प्रकाशहीन प्रतिक्रिया यह क्रिया *क्लोरोफिल के स्ट्रोमा में होती है।* इस क्रिया में *कार्बन डाइऑक्साइड का अपचयन होकर शर्करा एवं स्टार्च बनता है।*

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रोग


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 *Science/विज्ञान* 

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 *रोग=कवक* 

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1.दमा= *एस्पर्जिलस फ्यूमिगेट्स* 


2.एथलीट फूट= *टीनिया पेडिस* 


3.खाज= *एकेरस स्केबीज* 


4.गंजापन= *टीनिया केपिटिस* 


दाद= *ट्राइकोफायटान लेसकोसय* 


गन्ने का लाल  अपक्षय रोग= *कॉलेटोट्राइकम फैलकेटम*



 *तथ्य=उदाहरण एवं विवरण* 

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1.सबसे बड़ा आवृतबीजी वृक्ष =युकेलिप्टस 


2.संसार में सबसे लम्बा वृक्ष = *सिकोया, यह एक नग्नबीजी है। इसकी ऊँचाई 120 मीटर है। इसे कोस्ट रेड वुड ऑफ कैलीफोर्निया भी कहते हैं।* 


3.सबसे छोटा (आकार में)आवृतबीजी पौधा (lemna) *=यह जलीय आवृतबीजी है, जो  भारत में भी पाया जाता है।*


4.सबसे बड़ी पत्ती वाला पौधा= *विक्टोरिया रीजिया, यह भारत में बंगाल में पाया जाने वाला जलीय पादप है।*


5.सबसे बड़ा बीज (12 इंच लम्बा)=

*कोको डी मर (Coco de Mer), प्रजाति (Species) लोडोसिया मालडिभिका(Lodoicea Maldivica)*


6. सबसे छोटे बीज  = *आर्किड (Orchid)*


7.सबसे छोटा पुष्प= *वुल्फिया, इसका व्यास 0.1 मिमी. का होता है।*


8.सबसे बड़ा पुष्प= *रैफ्लेशिया ओरनोल्डाई, व्यास 1 मीटर तथा भार लगभग 8 किग्रा. हो सकता है। यह वाइटिश की जड़ पर परजीवी है।* 


9.सबसे बड़ा नरयुग्म= *साइकस, यह एक नग्नबीजी पादप है।*


10.सबसे बड़ा बीजांड = *साइकस*


11.जीवित जीवाश्म= *साइकस*



12.सबसे छोटे गुणसूत्र

= *शैवाल में* 


13.सबसे लम्बे गुणसूत्र= *ट्राइलियम में*


14.सबसे ज्यादा गुणसूत्र वाला पौधा= *औफियोग्लोसम (फर्न), जिसके डिप्लॉयड कोशिका में 1266 गुणसूत्र होते हैं।*


15.सबसे कम गुणसूत्र वाला पादप= *हेप्लोपोपस ग्रेसिलिस*


16.सबसे छोटा नग्नबीजी पादप= *जेमिया पिगमिया*


17.सबसे भारी काष्ठ वाला पौधा= *हार्डविचिया बाइनेका*


18.सबसे हल्की काष्ठ वाला पौधा= *ओक्रोमा लेगोपस*


19.सबसे छोटी कोशिका= *माइकोप्लाज्मा गेलिसेप्टिकम*


20.टेनिस गेंद जैसा फल= *केन्थ*


21.जंगल की आग= *ढाक*


22.कॉफी देने वाला पौधा= *कोफिया अरेबिका, इसमें कैफीन होती है।*


23.कोको देने वाला पौधा= *थियोब्रोमा केकओ, इसमें थिओब्रोमीन व कैफीन होती है।*


24=अफीम देने वाला पौधा= *पोपी (पेपावर सोमेनिफेरम) इसमें मोपीन होती है।*


25. सबसे ज्यादा पुराना ओक का पेड़ *मेंडीविले* लुइसीयाना में स्थित है 1500 वर्ष पुराना है।

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Science


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 *Science/विज्ञान* 

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1.मस्तिष्क का भार= *1400 ग्राम* 


2.क्रेनियल तंत्रिकाओं की संख्या= *11 जोड़ी* 


3.स्पाइनल तंत्रिकाओं की संख्या= *31 जोड़ी* 


4=सामान्य हृदय दर= *72 - 75 प्रति मिनट* 


5.सामान्य नाड़ी दर= *72 प्रति मिनट* 


6.गैस्ट्रिक जूस का pH *=1.4* 


7.मूत्र का pH= *6.0* 


8.रक्त का pH= *7.4* 


9.पैंक्रियाटिक जूस का pH= *8.5* 


10.शरीर में कुल अस्थियों की संख्या= *206* 


11.शरीर में कुल पेशियों की संख्या= *639* 


12.शरीर के कुल भार में जल का हिस्सा= *65%*


13.हीमोग्लोबिन का प्रतिशत पुरुष = *14 से 16 ग्राम/ 100 CC रक्त* 


14.महिला = *12 से 14 ग्राम/ 100 CC* 


15.रक्त सर्वदाता= *O रक्त समूह* 


16.सर्वाग्रही रक्त समूह= *AB समूह* 


17.सामान्य शरीर का तापक्रम= *98.4 फॉरेनहाइट/ (37°C)* 

 


18.श्वसन दर= *16 से 20 प्रति मिनट* 


19.दांत व्यस्त पुरुष में = *32* 


20.बच्चों में दांत = *20*

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सदिश/आदिश राशि


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 *Science/विज्ञान* 

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 *गति*

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1.*अदिश राशि (Scalar Quantity) :* 

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वैसी भौतिक राशि, *जिनमें केवल परिमाण होता है, दिशा नहीं,* उसे अदिश राशि कहा जाता है; *जैसे-द्रव्यमान, चाल, आयतन, कार्य, समय, ऊर्जा आदि ।*


*नोट : विद्युत् धारा (Current), ताप (Temperature), दाब (Pressure) ये सभी अदिश राशियाँ हैं।*


2.*सदिश राशि (Vector Quantity) :* 

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वैसी भौतिक राशि, *जिनमें परिमाण के साथ-साथ दिशा भी रहती है और जो योग के निश्चित नियमों के अनुसार जोड़ी जाती है* उन्हें सदिश राशि कहते हैं; *जैसे- वेग, विस्थापन, बल, त्वरण आदि ।*


Trick: जिस राशि की शुरुआत व या ब से हो वह सदिश राशि होती है। (त्वरण अपवाद में है।)

(यह ट्रिक निजी है)


3.*दूरी (Distance) :* 

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*किसी दिये गये समयान्तराल में वस्तु द्वारा तय किये गये मार्ग की लम्बाई को दूरी कहते हैं।* 


*यह एक अदिश राशि है।*


*यह सदैव धनात्मक (+ve) होती है।*



4.*विस्थापन (Displacement) :* 

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*एक निश्चित दिशा में दो बिन्दुओं के बीच की लम्बवत् (न्यूनतम) दूरी को विस्थापन कहते हैं।*


 *यह सदिश राशि है।* 


*इसका S.I. मात्रक मीटर है।*


*विस्थापन धनात्मक, ऋणात्मक और शून्य कुछ भी हो सकता है।* 


5. *चाल (Speed):*

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 *किसी वस्तु द्वारा प्रति सेकेण्ड तय की गई दूरी को चाल कहते हैं।* अर्थात् चाल = दूरी/ समय है। 


*इसका S.I. मात्रक मी./से. है।*  


*यह एक अदिश राशि है।*


6.*वेग (Velocity) :*

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*किसी वस्तु के विस्थापन की दर को या एक निश्चित दिशा में प्रति सेकेण्ड वस्तु द्वारा तय की गई दूरी को वेग कहते हैं।* 


*यह एक सदिश राशि है।* 


*इसका S.I. मात्रक मी./से. है।* 



7.*त्वरण (Acceleration)*

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*किसी वस्तु के वेग में परिवर्तन की दर को 'त्वरण' कहते हैं।* 


*यह एक सदिश राशि है।* 


*इसका S.I. मात्रक मी./से.2 है।* 


*यदि समय के साथ वस्तु का वेग घटता है तो त्वरण ऋणात्मक होता है, जिसे मंदन (retardation) कहते हैं।*


8. *न्यूटन के प्रथम नियम को गैलीलियो का नियम या जड़त्व का नियम भी कहते हैं।*


9. *बाह्य बल के अभाव में किसी वस्तु की अपनी विरामावस्था या समान गति की अवस्था को बनाये रखने की प्रवृत्ति को जड़त्व कहते हैं। किसी वस्तु के जड़त्व को उसके द्रव्यमान के द्वारा मापा जा सकता है।*


10.*प्रथम नियम से बल की परिभाषा मिलती है।*


11. *बल की परिभाषा: बल वह बाह्य कारक है जो किसी वस्तु की प्रारंभिक अवस्था में परिवर्तन करता है या परिवर्तन करने की चेष्टा करता है।* 


*बल एक सदिश राशि है।* 


*इसका S.I. मात्रक न्यूटन है।*


12.*जड़त्व के कुछ उदाहरण:* 

1. ठहरी हुई मोटर या रेलगाड़ी के अचानक चल पड़ने पर उसमें बैठे यात्री पीछे की ओर झुक जाते हैं। 

2. चलती हुई मोटरकार के अचानक रुकने पर उसमें बैठे यात्री आगे की ओर झुक जाते हैं। 

3. कम्बल को हाथ से पकड़कर डण्डे से पीटने पर धूल के कण झड़कर गिर पड़ते हैं।


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Work, power,Energy


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 *Science/विज्ञान* 

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 *कार्य, ऊर्जा एवं शक्ति* 

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1. *कार्य (Work):* 

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*कार्य की माप लगाये गये बल तथा बल की दिशा में वस्तु के विस्थापन के गुणनफल के बराबर होता है।* 


*कार्य एक अदिश राशि है।* 


*इसका S.I. मात्रक जूल है।*


*कार्य = बल × विस्थापन*



2. *ऊर्जा (Energy):*

==============

 *किसी वस्तु की कार्य करने की क्षमता को उस वस्तु की ऊर्जा कहते हैं।* 


*ऊर्जा एक अदिश राशि है।* 


*इसका S.I. मात्रक जूल है।*


3.*कार्य द्वारा प्राप्त ऊर्जा यांत्रिक ऊर्जा कहलाती है, जो दो प्रकार की होती है-* 

1. गतिज ऊर्जा

2.  स्थितिज ऊर्जा ।


*गतिज ऊर्जा (Kinetic Energy):*

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 *किसी वस्तु में उसकी गति के कारण कार्य करने की जो क्षमता आ जाती है, उसे उस वस्तु की गतिज ऊर्जा कहते हैं।*


 यदि m द्रव्यमान की वस्तु वेग से चल रही हो, तो गतिज ऊर्जा (KE) होगी-


KE =1/2mv2


*नोट: यदि दो पिण्डों की गतिज ऊर्जा एकसमान है, तो अधिक द्रव्यमान वाले एवं कम वेग वाले पिण्ड का संवेग अधिक होता है।*


*स्थितिज ऊर्जा (Potential energy):*

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 *जब किसी वस्तु में विशेष अवस्था (State) या स्थिति के कारण कार्य करने की क्षमता आ जाती है, तो उसे स्थितिज ऊर्जा कहते हैं।*

जैसे- *बाँध बनाकर इकट्ठा किये गये पानी की ऊर्जा*


*घड़ी की चाभी में संचित ऊर्जा,* 


*तनी हुई स्प्रिंग या कमानी की ऊर्जा।* 

*गुरुत्व बल के विरुद्ध संचित स्थितिज ऊर्जा का व्यंजक है-*

*PE=mgh* 

जहां m द्रव्यमान है g गुरुत्व जनित त्वरण h ऊंचाई


4. *ऊर्जा संरक्षण का नियम (Law of Conservation of Energy):*


1.*ऊर्जा न तो उत्पन्न की जा सकती है और न नष्ट की जा सकती है।*


2.*ऊर्जा केवल एक रूप से दूसरे रूप में परिवर्तित की जा सकती है।* 


3.*जब भी ऊर्जा किसी रूप में लुप्त होती है तब ठीक उतनी ही ऊर्जा अन्य रूपों में प्रकट होती है।* अतः *विश्व की सम्पूर्ण ऊर्जा का परिमाण स्थिर रहता है।* 


4.*यह ऊर्जा संरक्षण का नियम कहलाता है।*


5. *ऊर्जा रूपान्तरित करने वाले कुछ उपकरण* 


1. डायनेमो= *यांत्रिक ऊर्जा को विद्युत् ऊर्जा में*


2. मोमबत्ती= *रासायनिक ऊर्जा को प्रकाश एवं ऊष्मा ऊर्जा में*


3. माइक्रोफोन= *ध्वनि ऊर्जा को विद्युत् ऊर्जा में*


4. लाऊडस्पीकर= *विद्युत् ऊर्जा को ध्वनि ऊर्जा में*


5. सोलर सेल= *सौर ऊर्जा को विद्युत् ऊर्जा में*


6. ट्यूब लाइट= *विद्युत् ऊर्जा को प्रकाश ऊर्जा में*


7. विद्युत् मोटर= *विद्युत् ऊर्जा को यांत्रिक ऊर्जा में*


8. विद्युत् बल्ब= *विद्युत् ऊर्जा को प्रकाश एवं ऊष्मा ऊर्जा में*


9. विद्युत् सेल= *रासायनिक ऊर्जा को विद्युत् ऊर्जा में*


10. सितार यांत्रिक= *ऊर्जा को ध्वनि ऊर्जा में*


6.*शक्ति (Power) :*

=============

 *कार्य करने की दर को शक्ति कहते हैं।* 


*यदि किसी कर्ता द्वारा W कार्य t समय में किया जाता है, तो कर्ता की शक्ति W/t होगी।* 


*शक्ति का S.I. मात्रक वाट (W) है*, जिसे t वैज्ञानिक जेम्स वाट के सम्मान में रखा गया है।



7.*शक्ति की एक और मात्रक अश्व शक्ति है। अश्व शक्ति इकाई जेम्स वाट के द्वारा दिया गया।*


*1 अश्व शक्ति (H.P.) = 746 W = 550 ft - lbs = 746 × 107 अर्ग/सेकेण्ड 1 kW = 1000 746 = 1.34 Н.Р.*


8.*वाट-सेकेण्ड (Ws) :*


*1 वाट-सेकेण्ड = 1 वाट x 1 सेकेण्ड = 1 जूल*


*1 वाट घंटा (Wh) = 3600 जूल*


*1 किलोवाट घंटा = 1000 वाट घंटा = 3.6 × 10° जूल*


9.*W, kW, MW तथा H.P. शक्ति के मात्रक हैं।* 


10.*Ws, Wh, kWh कार्य अथवा ऊर्जा के मात्रक हैं।*

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Surface Tension


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 *Science/विज्ञान* 

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 *पृष्ठ तनाव* 

============

*संसंजक बल (Cohesive Force):* 

============

*एक ही पदार्थ के अणुओं के मध्य लगने वाले आकर्षण बल को संसंजक बल कहते हैं।* 


*ठोसों में संसंजक बल का मान अधिक होता है*, फलस्वरूप *उनके आकार निश्चित होते हैं।* 


*गैसों में संसंजक बल का मान नगण्य* होता है।



2.*आसंजक बल (Adhesive Force):* 

============

*दो भिन्न पदार्थों के अणुओं के बीच लगने वाले आकर्षण बल को आसंजक बल कहते हैं।* 


*आसंजक बल के कारण ही एक वस्तु दूसरे से चिपकती* है।


3.*पृष्ठ तनाव (Surface tension):* 

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*द्रव के स्वतंत्र पृष्ठ में कम-से- कम क्षेत्रफल प्राप्त करने की प्रवृत्ति होती है, जिसके कारण उसका पृष्ठ सदैव तनाव की स्थिति में रहती है। इसे ही पृष्ठ तनाव कहते हैं। किसी द्रव का पृष्ठ तनाव वह बल है, जो द्रव के पृष्ठ पर खींची गयी काल्पनिक रेखा की इकाई लम्बाई पर रेखा के लम्बवत् कार्य करता है। यदि रेखा की लम्बाई (l) पर F बल कार्य करता है, तो-*


*पृष्ठ तनाव, T=F  T =*


4.*पृष्ठ तनाव का SI मात्रक न्यूटन मीटर होता है।*


5.*द्रव के पृष्ठ के क्षेत्रफल में एकांक वृद्धि करने के लिए किया गया कार्य द्रव के पृष्ठ तनाव के बराबर होता है। इसके अनुसार पृष्ठ तनाव का मात्रक जूल/मीटर2 होगा।*


6.*द्रव का ताप बढ़ाने पर पृष्ठ तनाव कम हो जाता है और क्रांतिक ताप (critical temp) पर यह शून्य हो जाता है।*


*नोटः घुलनशील नमक मिलाने पर जल का पृष्ठ तनाव बढ़ जाता है।*

================


Wave


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 *Science/विज्ञान* 

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 *तरंग* 

==========

1. *तरंगों को मुख्यतः दो भागों में बाँटा जा सकता है-*


1. *यांत्रिक तरंग (Mechanical Wave)*


2. *अयांत्रिक तरंग (Non-mechanical Wave)*




2. *यांत्रिक तरंग (Mechanical Wave):* 

===========

*वे तरंगें जो किसी पदार्थिक माध्यम (ठोस, द्रव अथवा गैस) में संचरित होती हैं- "यांत्रिक तरंगें कहलाती हैं।"*


3.*यांत्रिक तरंगों को मुख्यतः दो भागों में बाँटा गया है-*


1. *अनुदैर्ध्य तरंग (Longitudinal Waves)* 


2. *अनुप्रस्थ तरंग (Transverse Waves)* 


4. *अनुदैर्ध्य तरंग :*

============

 *जब तरंग गति की दिशा माध्यम के कणों के कम्पन करने की दिशा के अनुदिश (या समांतर) होती है, तो ऐसी तरंग को अनुदैर्ध्य तरंग कहते हैं। ध्वनि अनुदैर्ध्य तरंग का उदाहरण है।*


*नोट : अनुदैर्ध्य तरंगों का ध्रुवण नहीं होता है।*


5.*निम्न तरंगे विद्युत् चुम्बकीय नहीं हैं :*

=============

 *1. कैथोड किरणें* 


 *2. कैनाल किरणें* 


 *3. a-किरणें* 


 *4. β-किरणें* 


 *5. ध्वनि तरंगें* 


 *6. पराश्रव्य तरंगें* 


6. *आयाम (Amplitude):*

============

 *दोलन करने वाली वस्तु अपनी साम्य स्थिति की किसी भी ओर जितनी अधिक-से-अधिक दूरी तक जाती है, उस दूरी को दोलन का आयाम कहते हैं।*


7. *तरंगदैर्ध्य (Wave-Length):*

============== 

*तरंग गति में समान कला में कम्पन करने वाले दो क्रमागत कणों के बीच की दूरी को तरंगदैर्ध्य कहते हैं। इसे ग्रीक अक्षर । (लैम्डा) से व्यक्त किया जाता है। अनुप्रस्थ तरंगों में दो पास-पास के श्रृंगों अथवा गर्तों के बीच की दूरी तथा अनुदैर्ध्य तरंगों में क्रमागत दो संपीडनों या विरलनों के बीच की दूरी तरंगदैर्ध्य कहलाती है।*


*सभी प्रकार की तरंगों में तरंग की चाल, तरंगदैर्ध्य एवं आवृत्ति के बीच निम्न संबंध होता है-*


*तरंग-चाल = आवृत्ति तरंगदैर्ध्य या, υ = πλ*


8. *अनुप्रस्थ तरंग :* 

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*जब तरंग गति की दिशा माध्यम के कणों के कम्पन करने की दिशा के लम्बवत् होती है, तो इस प्रकार की तरंगों को 'अनुप्रस्थ तरंग' कहते हैं।*


9.*अयांत्रिक तरंग या विद्युत् चुम्बकीय तरंग (Electromagnetic Waves):* 

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*वैसी तरंगें जिसके संचरण के लिए किसी माध्यम की आवश्यकता नहीं होती है, अर्थात् तरंगें निर्वात में भी संचरित हो सकती हैं, उन्हें विद्युत् चुम्बकीय या अयांत्रिक तरंग कहते हैं-सभी विद्युत् चुम्बकीय तरंगें एक ही चाल से चलती हैं, जो प्रकाश की चाल के बराबर होती है।*


10.*सभी विद्युत् चुम्बकीय तरंगें फोटॉन की बनी होती हैं।*


11.*विद्युत् चुम्बकीय तरंगों का तरंगदैर्ध्य परिसर 10square 14 मीटर से लेकर 10square4 मीटर तक होता है।*


12. *विद्युत् चुम्बकीय तरंगों के गुण*


1. यह उदासीन होती है। 


2. यह अनुप्रस्थ होती है। 


3. यह प्रकाश के वेग से गमन करती है। 


4. इसके पास ऊर्जा एवं संवेग होती है। 


5. इसकी अवधारणा मैक्सवेल (Maxwell) के द्वारा प्रतिपादित किया गया।*


13. *तरंग-गति (Wave-Motion):* 


*किसी कारक द्वारा उत्पन्न विक्षोभ के आगे बढ़ने की प्रक्रिया को तरंग-गति कहते हैं।*


14.*कम्पन की कला (Phase of Vibration):*

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 *आवर्त गति में कम्पन करते हुए किसी कण की किसी क्षण पर स्थिति तथा गति की दिशा को जिस राशि द्वारा निरूपित किया जाता है उसे उस क्षण पर के कम्पन की कला कहते हैं।*

1. गामा-किरणें= *पॉल विलार्ड(जबकि नामकरण रदरफोर्ड ने किया)*= *इसकी विधान क्षमता अत्यधिक होती है इसका उपयोग नाभिकीय अभिक्रिया तथा कृत्रिम रेडियोधर्मिकता में की जाती है।*


2. एक्स किरणें = *रॉन्जन=चिकित्सा एवं औद्योगिक क्षेत्र में इसका उपयोग किया जाता है।*


3.पराबैंगनी किरणें *=रिटर=सिकाई करने प्रकाश विद्युत प्रभाव को उत्पन्न करने बैक्टीरिया को नष्ट करने एवं रुपए जांचने में किया जाता है।*


4.दृश्य-विकिरण= *न्यूटन=इसमें हमें वस्तुएं दिखलाई पड़ती है।*



5. अवरक्त विकिरण= *हर्शेल=यह किरणें उसमें विकिरण है यह जिस वस्तु पर पड़ती है उसका तप बढ़ जाता है इसका उपयोग कोहरे में फोटोग्राफी करने एवं रोगियों की सेकाई करने में किया जाता है।*


6.लघु रेडियो तरंगें = *हेनरिक हर्ट्ज=इसका उपयोग रेडियो टेलीविजन एवं टेलीफोन में किया जाता है।*

 


7.दीर्घ रेडियो तरंगें= *मार्कोनी=इसका उपयोग रेडियो एवं टेलीविजन में किया जाता है।*


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Sound


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 *Science/विज्ञान* 

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 *ध्वनि तरंग* 

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1.*ध्वनि तरंग अनुदैर्ध्य यांत्रिक तरंगें होती हैं।*


2. *ध्वनि तरंगों का आवृत्ति परिसर :* 

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1. *अवश्रव्य तरंगें (Infrasonic Waves): (20 Hz से नीचे की आवृत्ति वाली ध्वनि तरंगों) को 'अवश्रव्य तरंगें' कहते हैं। इसे हमारा कान सुन नहीं सकता है। इस प्रकार की तरंगों को बहुत बड़े आकार के स्रोतों से उत्पन्न किया जा सकता है।*


2. *श्रव्य तरंगें (Audible Waves): (20Hz से 20,000 Hz) के बीच की आवृत्ति वाली तरंगों को 'श्रव्य तरंग' कहते हैं। इन तरंगों को हमारा कान सुन सकता है।*


3. *पराश्रव्य तरंगें (Ultrasonic Wave): (20,000 Hz से ऊपर की आवृत्ति वाली तरंगों) को पराश्रव्य तरंगें कहा जाता है। मनुष्य के कान इसे नहीं सुन सकता है। परन्तु कुछ जानवर जैसे- कुत्ता, बिल्ली, चमगादड़ आदि, इसे सुन सकते हैं। इन तरंगों को (गाल्टन की सीटी के द्वारा तथा दाब विद्युत् प्रभाव की विधि द्वारा क्वार्ट्ज के क्रिस्टल के कम्पनों से उत्पन्न करते) हैं। इन तरंगों की आवृत्ति बहुत ऊँची होने के कारण इसमें बहुत अधिक ऊर्जा होती है। साथ ही इनका तरंगदैर्ध्य छोटी होने के कारण इन्हें एक पतले किरण-पुंज के रूप में बहुत दूर तक भेजा जा सकता है।*



 *पराश्रव्य तरंगों के उपयोग:* 

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 *1. संकेत भेजने में* 


 *2. समुद्र की गहराई का पता लगाने में* 


 *3. कीमती कपड़ों, वायुयान तथा घड़ियों के पुर्जों को साफ करने में* 


 *4. कल-कारखानों की चिमनियों से कालिख हटाने में* 


 *5. दूध के अन्दर के हानिकारक जीवाणुओं को नष्ट करने में* 


 *6. गठिया रोग के उपचार एवं मस्तिष्क के ट्यूमर का पता लगाने में* 


 *7. भ्रूण की जाँच करने में* 


 *8. गुर्दा में बनने वाली पथरी की जाँच करने में तथा उसे तोड़ने में।* 

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Sound

Sound 

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*ध्वनि की चाल (Speed of Sound)*

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1.*विभिन्न माध्यमों में ध्वनि की चाल भिन्न-भिन्न होती है। किसी माध्यम में ध्वनि की चाल (मुख्यतः माध्यम की प्रत्यास्थता तथा घनत्व) पर निर्भर करती है।*


2.*ध्वनि की चाल सबसे अधिक ठोस में, उसके बाद द्रव में और उसके बाद गैस में होती है।*


3.*वायु में ध्वनि की चाल 332 m/s, जल में ध्वनि की चाल 1,483 m/s और लोहे में ध्वनि की चाल 5,130 m/s होती है।*


4.*जब ध्वनि एक माध्यम से दूसरे माध्यम में जाती है, तो ध्वनि की चाल एवं तरंगदैर्ध्य बदल जाती है, जबकि आवृत्ति नहीं बदलती है।*


5. *किसी माध्यम में ध्वनि की चाल आवृत्ति पर निर्भर नहीं करती है।*


6.*ध्वनि की चाल पर दाब का प्रभाव ध्वनि की चाल पर दाब का कोई प्रभाव नहीं पड़ता है। अर्थात् दाब घटाने या बढ़ाने पर ध्वनि की चाल अपरिवर्तित रहती है।*


7.*ध्वनि की चाल पर ताप का प्रभाव माध्यम का ताप बढ़ाने पर उसमें ध्वनि की चाल बढ़ जाती है। वायु में प्रति 1°C ताप बढ़ाने पर ध्वनि की चाल 0.61m/s बढ़ जाती है।*


8.*ध्वनि की चाल पर आर्द्रता का प्रभाव नमीयुक्त वायु का घनत्व, शुष्क वायु के घनत्व से कम होता है; अतः शुष्क वायु की अपेक्षा नमी युक्त वायु में ध्वनि की चाल अधिक होती है।*


9. *ध्वनि के लक्षण (Characteristics of Sound): ध्वनि के मुख्यतः तीन लक्षण होते हैं*- 

 *1. प्रबलता* 

 *2. तारत्व* और 

   *3. गुणता ।* 


1. *प्रबलता (Loudness): प्रबलता ध्वनि का अभिलक्षण है जिसके कारण कोई ध्वनि तेज या मंद सुनाई देती है। ध्वनि की प्रबलता स्तर व्यक्त करने का मात्रक फोन है।*


2.*तारत्व (Pitch): तारत्व ध्वनि का वह लक्षण है, जिससे ध्वनि को मोटी (grave) या पतली (shrill) कहा जाता है ! तारत्व आवृत्ति पर निर्भर करता है। ध्वनि की आवृत्ति अधिक होने पर तारत्त्व अधिक होता है, एवं ध्वनि पतली (shrill) होती है। वहीं आवृत्ति कम होने पर तारत्व कम होता है एवं ध्वनि मोटी (grave) होती है।*


3. *गुणता (Quality): ध्वनि का वह लक्षण जिसके कारण हमें समान प्रबलता तथा समान तारत्व की ध्वनियों में अन्तर प्रतीत होता है, गुणता कहलाता है। ध्वनि की गुणता संनादी स्वरों की संख्या, क्रम तथा आपेक्षिक तीव्रता पर निर्भर करती है।*


10.*प्रतिध्वनि सुनने के लिए श्रोता एवं परावर्तक सतह के बीच न्यूनतम दूरी 17 मी (16.6 मीटर) होनी चाहिए।*


11.*ध्वनि की तीव्रता व्यक्त करने वाला मात्रक को बेल (Bel) कहते हैं। बेल एक बड़ा मात्रक है ।अतः व्यवहार में इसे छोटा मात्रक dB (डेसिबल) प्रयुक्त होता है जो बेल का दसवां भाग है।*


12.*मनुष्य की अधिकतम श्रव्यता सीमा 95dB(डेसीबल) है। इससे अधिक तीव्रता की ध्वनि को मनुष्य सुन नहीं सकता है।*


13.*सबसे अधिक ध्वनि की चाल ठोस में (एल्मुनियम 6420 मीटर प्रति सेकंड)*


14.*गैस में, ध्वनि की चाल सबसे कम होती है (कार्बन डाइऑक्साइड 260 मीटर प्रति सेकंड)*

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ऊष्मा


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 *ऊष्मा (HEAT)* 

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1.*ऊष्मा (Heat): यह वह ऊर्जा है जो एक वस्तु से दूसरी वस्तु में केवल तापान्तर (Temperature Difference) के कारण स्थानान्तरित होती है। किसी वस्तु में निहित ऊष्मा उस वस्तु के द्रव्यमान पर निर्भर करती है।*


2. *यदि कार्य W ऊष्मा Q में बदलता है तो = W/Q = J या W = JQ जहाँ, J एक नियतांक है, जिसे ऊष्मा का यांत्रिक तुल्यांक (Mechanical Equivalent of Heat) कहते हैं।* 

3. *J का मान 4.186 जूल/कैलोरी होता है। इसका तात्पर्य यह हुआ कि यदि 4.186 जूल का यांत्रिक कार्य किया जाए तो उत्पन्न ऊष्मा की मात्रा 1 कैलोरी होगी।*


 *ऊष्मा के मात्रक (Units of Heat):* 

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1. *ऊष्मा का S.I. मात्रक जूल है।* *इसके लिए निम्न मात्रक का प्रयोग भी किया जाता है-* 

1. *कैलोरी (Calorie) एक ग्राम जल का ताप 1°C बढ़ाने के लिए  आवश्यक ऊष्मा की मात्रा को कैलोरी कहते हैं।*


2. *अन्तर्राष्ट्रीय कैलोरी (International Calorie) 1 ग्राम शुद्ध जल का ताप 14.5°C से 15.5°C तक बढ़ाने के लिए आवश्यक ऊष्मा की मात्रा को 1 कैलोरी कहा जाता है।*


3. *ब्रिटिश थर्मल यूनिट (B. Th. U.): एक पौंड जल का ताप 1°F बढ़ाने के लिए आवश्यक ऊष्मा की मात्रा को 1 B. Th. U. कहते हैं।*


 *विभिन्न मात्रकों में संबंध*

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*1B.Th.U=252 कैलोरी*


*1कैलोरी=4.186 जूल*


*1 किलो कैलोरी= 4186 जूल= 1000 कैलोरी।* 

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चुम्बक


 *Science/विज्ञान* 

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 *चुम्बकत्व* 

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1. *प्राकृतिक चुम्बक लोहे का ऑक्साइड (Fe3O4) है।* 

2. *इसका कोई निश्चित आकार नहीं होता है।*


3. *कृत्रिम विधियों द्वारा बनाए गये चुम्बक को कृत्रिम चुम्बक कहते हैं; यह लोहा, इस्पात कोबाल्ट आदि से बनाया जा सकता है।* 

4. *यह विभिन्न आकृति की होती है, जैसे-छड़ चुम्बक, घोड़ानाल चुम्बक, चुम्बकीय सूई आदि ।*


5. *चुम्बक लोहे को अपनी ओर आकर्षित करता है, इस गुण को चुम्बकत्व कहते हैं।* 

6. *चुम्बक के सिरों के समीप चुम्बकत्व सबसे अधिक होता है।* 

7. *वे क्षेत्र चुम्बक के ध्रुव (pole) कहलाते हैं।* 

8. *चुम्बक के ठीक मध्य में चुम्बकत्व नहीं होता।*


9. चुम्बक को क्षैतिज तल में स्वतंत्रतापूर्वक लटकाने पर *उसका एक ध्रुव सदैव उत्तर की ओर* तथा *दूसरा ध्रुव सदैव दक्षिण की ओर ठहरता* है। उत्तर की ओर ठहरने वाले ध्रुव को उत्तरी ध्रुव तया दक्षिण की ओर ठहरने वाले ध्रुव को दक्षिणी ध्रुव कहते हैं।


10. *चुम्बक के दो ध्रुवों को मिलाने वाली रेखा को चुम्बकीय अक्ष कहते* है।


11. *समान ध्रुव में प्रतिकर्षण* एवं *असमान ध्रुव में आकर्षण होता है।*


*नोट: यदि किसी चुम्बक का तीसरा ध्रुव हो, तो तीसरा ध्रुव परिणामी ध्रुव कहलाता है।*


12. *चुम्बक चुम्बकीय पदार्थों में प्रेरण (Induction) द्वारा चुम्बकत्व उत्पन्न कर देता है।*


13. .*चुम्बकीय क्षेत्र (मैग्नेटिक Field) :* 

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चुम्बक के चारों ओर *वह क्षेत्र, जिसमें चुम्बक के प्रभाव का अनुभव किया जा सकता है, 'चुम्बकीय क्षेत्र' कहलाता है।*


14.*चुम्बकीय  क्षेत्र की तीव्रता:*

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 चुम्बकीय क्षेत्र में क्षेत्र के लम्बवत् एकांक लम्बाई का ऐसा चालक तार रखा जाए जिसमें एकांक प्रबलता की धारा प्रवाहित हो रही हो तो चालक पर लगने वाला बल ही चुम्बकीय क्षेत्र की तीव्रता की माप होगी। *चुम्बकीय क्षेत्र की तीव्रता एक सदिश राशि है।* इसका *मात्रक न्यूटन ऐम्पियर-मी. अथवा वेबर/मी2 या टेसला (T) होता है।*


15.*चुम्बकीय बल रेखाएँ (Magnetic Lines of Force):*

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चुम्बकीय क्षेत्र में बल-रेखाएँ वे काल्पनिक रेखाएँ हैं, जो उस स्थान में चुम्बकीय क्षेत्र की दिशा को अविरत प्रदर्शन करती हैं। *चुम्बकीय बल-रेखा के किसी भी बिन्दु पर खींची गई स्पर्श-रेखा उस बिदु पर चुम्बकीय क्षेत्र की दिशा को प्रदर्शित करती है।*


*नोट : चुम्बकीय सुई उत्तर की तरफ संकेत करती है। मुक्त रूप से लटकी हुई चुम्बकीय सुई का अक्ष भौगोलिक अक्ष के साथ 18° का कोण बनाती है।* 


16.*चुम्बकीय बल-रेखाओं के गुण :*

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1.*चुम्बकीय बल-रेखाएँ सदैव चुम्बक के उत्तरी ध्रुव से निकलती हैं, तथा वक्र बनाती हुई दक्षिणी ध्रुव में प्रवेश कर जाती हैं और चुम्बक के अन्दर से होती हुई पुनः उत्तरी ध्रुव पर वापस आती हैं।*


2. *दो बल-रेखाएँ एक-दूसरे को कभी नहीं काटतीं।*


3. *चुम्बकीय क्षेत्र जहाँ प्रबल होता है वहाँ बल-रेखाएँ पास-पास होती हैं।*


4. *एक समान चुम्बकीय क्षेत्र की बल-रेखाएँ परस्पर समान्तर एवं बराबर-बराबर दूरियों पर होती हैं।*


17.*चुम्बकीय पदार्थ (Magnetic Substances):*

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1. *प्रति चुम्बकीय पदार्थ (Dia-Magnetic Substances):*

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 *प्रति चुम्बकीय पदार्थ वे पदार्थ हैं, जो चुम्बकीय क्षेत्र में रखे जाने पर क्षेत्र की विपरीत दिशा में चुम्बकित हो जाते हैं।* 


*जस्ता, बिस्मथ, ताँबा, चाँदी, सोना, हीरा, नमक, जल आदि प्रति चुम्बकीय पदार्थों के उदाहरण हैं।*


2. *अनुचुम्बकीय पदार्थ (Paramagnetic Substances):*

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*अनुचुम्बकीय पदार्थ वे पदार्थ हैं, जो चुम्बकीय क्षेत्र में रखने पर क्षेत्र की दिशा में थोड़ी सी (एक से कम) चुम्बकीय हो जाते हैं। प्लैटिनम, क्रोमियम, सोडियम, एल्युमिनियम, ऑक्सीजन आदि इसके उदाहरण हैं।*


3. *लौह चुम्बकीय (Ferromagnetic Substances) :*

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*लौह चुम्बकीय पदार्थ वे पदार्थ हैं, जो चुम्बकीय क्षेत्र में रखने पर क्षेत्र की दिशा में प्रबल रूप से चुम्बकित हो जाते हैं।*


 *लोहा, निकेल, कोबाल्ट, इस्पात इसके उदाहरण हैं।*


18.*डोमेन (Domains) :* 

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*लौह चुम्बकीय पदार्थ में प्रत्येक परमाणु ही एक चुम्बक होता है और उनमें असंख्य परमाणुओं के समूह होते  हैं जिन्हें डोमेन कहते हैं।* 


*एक डोमेन में 1018 से 1021 तक परमाणु होते हैं, लौह चुम्बकीय पदार्थों का तीव्र चुम्बकत्व इन डोमेनों के कारण ही होता है।*


19. *क्यूरी ताप (Curie Temperature):* 

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*क्यूरी ताप वह ताप है, जिसके ऊपर पदार्थ अनु चुम्बकीय व जिसके नीचे पदार्थ लौह चुम्बकीय होता है।* 


*लोहा एवं निकेल के लिए क्यूरी ताप के मान क्रमशः 770°C तथा 358°C होता है।*


20.*अस्थायी चुम्बक बनाने के लिए नर्म लोहे का प्रयोग किया जाता है।*


21. *स्थायी चुम्बक बनाने के लिए इस्पात का प्रयोग किया जाता है।*


*> भू-चुम्बकत्व (Terrestrial Magnetism):* 

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*किसी स्थान पर पृथ्वी के चुम्बकीय क्षेत्र को तीन तत्त्वों द्वारा व्यक्त किया जाता है दिकपात् कोण (angle of declination), नमन कोण (angle of dip) तथा चुम्बकीय क्षेत्र की क्षैतिज घटक (horizontal component of earth's magentic field)*


1. *दिक्पाल कोणः*

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 *किसी स्थान पर भौगोलिक याम्योत्तर तथा चुम्बकीय याम्योत्तर के बीच के कोण को दिक्पाल कोण कहते हैं।*


2. *नमन कोण :*

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 *किसी स्थान पर पृथ्वी का सम्पूर्ण चुम्बकीय क्षेत्र क्षैतिज तल के साथ जितना कोण बनता है, उसे उस स्थान का नमन कोण कहते हैं। पृथ्वी के *ध्रुव पर नमन कोण का मान 90° तथा विषुवत् रेखा पर 0° होता है।*


3. *चुम्बकीय क्षेत्र के क्षैतिज घटक पृथ्वी के सम्पूर्ण चुम्बकीय क्षेत्र के क्षैतिज घटक (H) अलग-अलग स्थानों पर अलग-अलग होता है। परन्तु इसका मान लगभग 0.4 गाँस या 0.4 × 104 टेसला होता है।*


नोट : पृथ्वी एक बहुत बड़ा चुम्बक है, *इसका चुम्बकीय क्षेत्र दक्षिण से उत्तर दिशा में विस्तृत होता है।*

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